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अब उत्तर प्रदेश में भी महाराष्ट्र की तर्ज पर रसीले अंगूरों की खेती की जा सकेगी। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अभी अंगूर की फ्लेम सीडलेस प्रजाति कि खेती की जाती है जबकि व्यवसायिक उपयोग में सबसे ज्यादा काम आने वाले रसीले अंगूर की प्रजाति पूसा नवरंग की भी खेती जल्द शुरु हो सकती है। उनका कहना है कि रस से भरपूर होने के कारण पूसा नवरंग भी जूस, जैम और जेली के लिए बेहतरीन है।
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) के पूर्व निदेशक सीएस राजन के मुताबिक पूसा नवरंग में जूस उत्पादन की उत्कृष्ट क्षमता है। यह प्रजाति उत्तर प्रदेश खासकर जिन क्षेत्रों की कृषि जलवायु क्षेत्र लखनऊ के समान है, उन क्षेत्रों में उत्पादन के लिए अनुकूल है। इसका अद्वितीय रस प्रोफ़ाइल इसे क्षेत्र के लिए फ्लेम सीडलेस के बाद दूसरी सबसे उपयुक्त किस्म बनाती है।
उनका कहना है कि केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों ने वर्षों तक अंगूर की कई प्रजातियों पर शोध के बाद पाया कि अंगूर की इन दोनों किस्मों फ्लेम सीडलेस और पूसा नवरंग की उत्तर भारत में अच्छी खासी व्यावसायिक संभावनाएं हैं। इन प्रजातियों की पहचान कर वैज्ञानिकों ने उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत में अंगूर की खेती के लिए नए दरवाजे खोले हैं।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक सुशील कुमार शुक्ला के मुताबिक उक्त दोनों प्रजातियां न केवल स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हैं, बल्कि बाजार की मांगों को भी पूरा करती हैं। ये प्रजातियां उत्तर भारत के किसानों के लिए योगी सरकार की मंशा के अनुसार फसल विविधिकरण का एक बेहतरीन विकल्प प्रस्तुत करती हैं। इसके साथ किसान साये में होने वाली सब्जियों और मसालों की खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. राम कुमार बताते हैं कि अंगूर की खेती में पूसा नवरंग की सफलता जूस बनाने के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है, क्योंकि इसका स्वाद और उपज इसे पारंपरिक फसलों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाता है। स्थानीय परिस्थितियों में इसकी अनुकूलता के कारण यह प्रजाति किसानों के लिए एक मूल्यवान विकल्प है। अंगूर और इसके प्रसंस्कृत उत्पादों के लिए पूसा नवरंग प्रजाति का चयन बागवानों की आय बढ़ाने में बेहतरीन निर्णय होगा। पूसा नवंरग का बहुतायत में वाणिज्यिक प्रयोग किया जाता है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी के अलावा सहारनपुर व पश्चिम के कुछ जिलों में किसान सीडलेस अंगूर की खेती कर रहे हैं। अब इन किसानों को पूसा नवरंग प्रजाति के रसीले अंगूर की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।