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लहसुन हुआ धराशायी तो किसानों की छूटी रुलाई

Last Updated- December 07, 2022 | 11:49 PM IST

आलू उत्पादन में अपने हाथ जला चुके उत्तर प्रदेश के किसानों को अब लहसुन ने गच्चा दे दिया है।


कानपुर और इसके आसपास के इलाकों के किसानों का कहना है कि बाजार में लहसुन के भाव सामान्य स्तर से काफी नीचे चले गए हैं। हालत यह है कि बाजार में लहसुन के भाव सामान्य स्तर से 90 फीसदी नीचे तक लुढ़क चुके हैं। ऐसी हालत में तबाह हुए हजारों किसानों के पलायन या खुदकुशी करने की आशंकाएं बढ़ गई हैं।

कई किसानों ने बताया कि उन्होंने लहसुन की खेती के लिए ऊंचे ब्याज दर पर कर्ज लिया था पर लहसुन का भाव धड़ाम से नीचे गिर जाने से उनके लिए सब कुछ खत्म सा हो गया है। लहसुन जो सामान्यत: 5000 से 7000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिकता है, इस समय 700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बाजार में बिक रहा है।

कीमत के लिहाज से लहसुन की हुई इस दुर्गति ने किसानों के सामने शहरों का रुख करने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं छोड़ा है। महाजनों से लिए गए हजारों रुपये का कर्ज चुकाने के लिए किसानों के सामने शहर कूच या आत्महत्या करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है।

लहसुन न केवल एक मसाला है बल्कि इसका औषधीय इस्तेमाल भी खूब होता है। किसानों का दुर्भाग्य ऐसा कि हर साल जहां आयुर्वेदिक कंपनियां किसानों से लहसुन खरीदने यहां आती थीं लेकिन इस बार वह भी नदारद है।

कानपुर के पास अकबरपुर के एक किसान रामबाबू पांडेय ने बताया कि मौजूदा बाजार भाव से हमारी लागत किसी भी सूरत में नहीं निकल पाएगी। उनके मुताबिक, एक हेक्टेयर लहसुन पैदा करने के लिए करीब 4,000 रुपये खर्च करना पड़ता है पर बाजार के जो मौजूदा भाव हैं उससे तो लागत निकलने के कोई आसार ही नहीं है।

कानपुर स्थित चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय के डॉ आर पी कटियार के अनुसार, कानपुर के आसपास करीब 3,000 हेक्टेयर में लहसुन की खेती की गई है। कटियार ने कहा कि लहसुन की खेती से किसानों को हुए नुकसान से उबरने का एकमात्र रास्ता आलू की खेती है।

लेकिन पिछले सीजन से ही आलू की जो हालत है उससे तो नहीं लगता कि लहसुन का दर्द आलू दूर कर देगा। पिछले साल लहसुन की खेती से खासा मुनाफा हुआ था जिसे देखते हुए किसानों ने इस बार ऊंचे ब्याज दर पर कर्ज लेकर लहसुन की खेती की।

बेहतर मौसम ने लहसुन की फसल को काफी सहारा दिया। लेकिन किसानों का दुर्भाग्य कि काफी अच्छे उत्पादन और अन्य वजहों के चलते लहसुन का बाजार भाव काफी नीचे चला गया। हालत यह है कि लहसुन के थोक विक्रे ता और बिचौलिये एक क्विंटल लहसुन के 400 रुपये तक देने को तैयार नहीं हैं।

ऐसे में किसानों को प्रति हेक्टेयर 2,400 रुपये तक का नुकसान हो रहा है। मैनपुरी जिले के सुभाष यादव ने बताया कि पहले से ही कर्ज में डूबे किसानों की रही सही उम्मीद लहसुन ने भी डुबो दी, लेकिन दुख की बात है कि हमलोगों की इस दुर्गति पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।

यादव ने कहा कि वे महाजनों की उगाही से अब तंग आ चुके हैं। ऐसे में उनके सामने गांव छोड़ने या आत्महत्या करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है।

केंद्र सरकार द्वारा किसानों को दी गई कर्ज माफी के बारे में पूछने पर बताया कि इसका लाभ पाने के लिए उसे बैंकों से कर्ज लेना होगा, लेकिन उसके पास इसके बारे में न तो कोई जानकारी है न ही कोई दस्तावेज।

First Published - October 14, 2008 | 12:42 AM IST

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