स्टील कंपनियों को एक बार फिर सरकारी झटका लग सकता है। बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार स्टील के प्लैट प्रॉडक्ट के निर्यात पर पाबंदी लगाने पर विचार कर रही है।
सचिवों की समिति ने कहा है कि स्टील के फ्लैट प्रॉडक्ट की कीमत पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो मजबूर होकर सरकार या तो इसके निर्यात पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी कर देगी या फिर इसके निर्यात पर पाबंदी लगा देगी।
यह भी कहा जा रहा है कि घरेलू बाजार में लौह अयस्क की उपलब्धता सुनिश्चित करने केलिए इसके निर्यात पर पाबंदी लगाई जा सकती है। साथ ही स्टील के लॉन्ग प्रोडक्ट पर निर्यात शुल्क बढ़ाया जा सकता है। जनवरी से अब तक स्टील की कीमतों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है और महंगाई के आंकड़े को दहाई अंक में पहुंचाने में इसका भी बड़ा योगदान है।
सरकार ने 13 जून को फ्लैट रोल्ड प्रॉडक्ट, ग्लैवनाइज्ड आयरन, पाइप और टयूब्स को निर्यात डयूटी के दायरे से बाहर कर दिया था। इससे पहले ऐसे प्रॉडक्ट पर 5 से 15 फीसदी की एड वेलोरम डयूटी लगती थी। इसके अलावा स्टील के लंबे प्रॉडक्ट मसलन सरिया, एंगल आदि पर एक्सपोर्ट डयूटी 10 से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी गई थी। लौह अयस्क पर भी 15 फीसदी की एड वेलोरम ड्यूटी लगाई गई थी।
सचिवों की समिति ने कहा है कि घरेलू बाजार में स्टील की उपलब्धता बढ़ाने और इसकी बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए स्टील मंत्रालय और राजस्व विभाग से संपर्क कर उपयुक्त कदम उठाए जाएंगे। मंत्रालय इस प्रस्ताव को अगस्त के पहले हफ्ते से लागू करने की सोच रही है, जब स्टील कंपनियों द्वारा कीमत न बढ़ाने के आश्वासन की अवधि (तीन महीने) समाप्त हो जाएगी। मंत्रालय मौजूदा हालात में उपलब्ध सारे विकल्प पर विचार करेगा।