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दशहरी की लाली पड़ गई काली

Last Updated- December 07, 2022 | 11:03 AM IST

मानसून ने बुंदेलखंड समेत सूबे के सभी किसानों को खुश कर दिया है, पर दशहरी उत्पादकों के चेहरों की हंसी छीन ली है।


लगातार हो रही बारिश ने पहले दशहरी की फसल को तगड़ा नुकसान पहुंचाया और अब उन्हें बदरंग कर उसकी बिक्री को चोट पहुंचाई है। फसल के मौसम में दशहरी आम आलू के दाम पर बिक रहा है और उत्पादक उसे औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं।

बारिश के कहर के चलते दशहरी आम का रंग काला पड़ गया है और आम तौर पर एक हफ्ते तक सुरक्षित रहने वाले आम को तीन दिन भी बचाना मुश्किल पड़ रहा है। मलयेशिया, सिंगापुर और हांगकांग में दशहरी की हुई प्रदर्शनी के आधार पर निर्यात ऑर्डर पा चुके उत्पादक अब मायूस हैं। आम निर्यातकों को पहले 10 लाख टन आम निर्यात का ऑर्डर मिला था, जो अब घटकर 3 लाख टन रह गया है।

अब आम निर्यातक ऑर्डर को रद्द कर रहे हैं, साथ ही अन्य प्रदेशों को भेजे जाने वाले माल के तादाद में भी गिरावट आई है। इस हफ्ते दिल्ली भेजी जाने वाली दशहरी की मात्रा घटकर आधी रह गई है जबकि विदेश में एक भी आम नहीं भेजा जा सका है। दशहरी उत्पादक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शिव सरन सिंह के मुताबिक, आम उत्पादक इस बार दोहरी मार के शिकार हो गए हैं।

डॉलर में गिरावट ने मुनाफे में पहले ही कमी कर दी है, तो मौसम की वजह से दशहरी की क्वॉलिटी पर ही अच्छा खासा असर डाल दिया है। देसी बाजार रंग में काली चित्तीदार दशहरी आम से पटा है, जिसकी कीमत 8 रुपये प्रति किलो भी मुश्किल से मिल पा रही है। सिंह के अनुसार स्वाद के अलावा रंग भी दशहरी की खूबसूरती का हिस्सा है, जो इस बार गायब हो गया है। उनका कहना है कि मानसून की मार से बाद दशहरी का रंग ही नहीं गायब हुआ बल्कि वह जल्दी सड़ने भी लगा है। इस काले रंग के चलते निर्यात पर भी विपरीत असर पड़ा है।

First Published - July 15, 2008 | 12:10 AM IST

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