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Diwali 2025: दिवाली के मौके पर भारत में चांदी की जबरदस्त खरीदारी ने दुनिया भर के कीमती धातुओं के बाजार में भूचाल ला दिया है। Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अभूतपूर्व मांग के कारण भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी MMTC-PAMP पहली बार चांदी के स्टॉक से खाली हो गई।
कंपनी के ट्रेडिंग हेड विपिन रैना ने बताया, “27 साल के करियर में ऐसा पागलपन नहीं देखा। मार्केट में चांदी मिल ही नहीं रही।”
भारत की इस भारी डिमांड ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी असर दिखाया। Bloomberg के मुताबिक, लंदन जैसे बड़े ट्रेडिंग हब में बैंकों ने ग्राहकों को भाव बताना तक बंद कर दिया क्योंकि वहां भी उपलब्ध स्टॉक खत्म हो गया। कई ट्रेडर्स ने इसे पिछले 45 साल का सबसे बड़ा सिल्वर क्राइसिस बताया।
भारत में दिवाली-धनतेरस पर रिकॉर्ड खरीदारी
सोशल मीडिया पर चांदी को “अगला गोल्ड” बताया जाना
Gold-Silver Ratio 100:1 वायरल होने से ‘Silver Rush’
अमेरिका में संभावित टैरिफ से पहले भारी शिपमेंट
Solar Industry में बढ़ती खपत
डॉलर की कमजोरी से हेज फंड्स का निवेश
Bloomberg ने बताया कि चांदी की कीमतें पिछले हफ्ते पहली बार 54 डॉलर प्रति औंस के पार चली गईं – लेकिन तुरंत बाद 6.7% तक गिर भी गईं। यह दिखाता है कि बाजार बेहद अस्थिर स्थिति में है।
भारत में सामान्य दिनों में जो प्रीमियम कुछ पैसों का होता था, वह अब 5 डॉलर प्रति औंस (लगभग ₹4000) तक पहुंच गया।
रिपोर्ट बताती है कि अगर सप्लाई जल्द सामान्य नहीं हुई तो यह संकट और गहरा सकता है। वहीं अचानक बिकवाली शुरू हुई तो कीमतें उतनी ही तेजी से गिर भी सकती हैं।
दुनिया भर में चांदी के बाजार में हाल के दिनों में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। 1980 में हंट ब्रदर्स और 1998 में वॉरेन बफेट द्वारा की गई भारी खरीदारी के बाद अब एक बार फिर बाजार में सप्लाई की कमी के कारण दिक्कतें बढ़ गई हैं। हालांकि, इस बार स्थिति थोड़ी अलग मानी जा रही है — विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकट कृत्रिम नहीं, बल्कि वास्तविक कमी के कारण पैदा हुआ है।
पिछले पांच वर्षों से खदानों और रीसाइक्लिंग से मिलने वाली चांदी की सप्लाई, मांग की तुलना में लगातार कम पड़ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है सोलर पैनल उद्योग, जिसमें चांदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। 2021 से अब तक मांग, सप्लाई से लगभग 678 मिलियन औंस अधिक रही है।
साल की शुरुआत में आशंका जताई गई थी कि डोनाल्ड ट्रंप चांदी पर टैरिफ लगा सकते हैं। इसी डर से करीब 200 मिलियन औंस चांदी न्यूयॉर्क के वेयरहाउसों में भेजी गई। इसके अलावा, निवेशकों ने भी ETFs में 100 मिलियन औंस से ज्यादा चांदी खरीदी, जिससे लंदन के स्टॉक तेजी से खाली होते गए।
यह चांदी वही होती है जो रोजाना ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध रहती है। जबकि लंदन बाजार में रोज लगभग 250 मिलियन औंस का लेन-देन होता है। ऐसे में सप्लाई का दबाव तेजी से बढ़ा और दाम अचानक उछलने लगे।
आमतौर पर 4 दिन में चांदी खरीदी जाकर जांच के बाद हवाई जहाज़ के जरिए लंदन पहुंचाई जा सकती है। लेकिन कस्टम्स और लॉजिस्टिक्स में देरी होने से कई बार डिलीवरी में हफ्तों लग जाते हैं। इसी वजह से कई ट्रेडर्स डरे हुए थे कि कहीं वे डिलीवरी समय पर न कर पाएं और भारी नुकसान झेलना पड़े।
पिछले दो हफ्तों में न्यूयॉर्क के Comex वेयरहाउस से 20 मिलियन औंस से ज्यादा चांदी निकाली गई, जो 25 साल में सबसे बड़ी गिरावट है। लॉजिस्टिक्स कंपनियों ने भी इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने रेट बढ़ा दिए।
TD Securities के एनालिस्ट डेनियल घाली, जो पिछले एक साल से इस दबाव की चेतावनी दे रहे थे, का कहना है कि अब बाजार में दबाव कम हो सकता है क्योंकि न्यूयॉर्क ही नहीं, चीन से भी बड़ी मात्रा में चांदी आने की उम्मीद है।