इंडियन पल्सेज ऐंड ग्रेन एसोसिएशन (आईपीजीए) ने आज केंद्र से आने वाले महीनों में दलहन के मुक्त आयात की अनुमति देने का अनुरोध किया। एसोसिएशन ने कहा कि मौजूदा भंडारण लंबे समय तक चलने की उम्मीद नहीं है और आयात शुल्क तार्किक बनाने से किसान व ग्राहकों के हितों की रक्षा हो सकेगी। आईपीजीए के वाइस चेयरमैन विमल कोठारी ने कहा कि नीतिगत ढांचे में कम से कम 6 से 9 महीनों के लिए बदलाव किया जाना चाहिए, जिससे कोई भी अटकलबाजी विदेश व भारत में मूल्यों पर असर न डाल सके।
उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक साल में चने की दाल के भाव 20-30 रुपये प्रति किलो बढ़े हैं, जबकि तूर या अरहर की दाल के दाम भी इतने ही बढ़े हैं। उड़द के दाल की कीमत 15 से 40 रुपये प्रति किलो बढ़ी है, जबकि एक साल में मसूर की दाल 20-30 रुपये किलो बढ़ी है।
कोठारी ने कहा कि जुलाई से जून 2020-21 फसल सत्र में 21 लाख टन दाल का आयात हुआष जबकि इस साल दलहन का आयात 25 से 26 लाख चन हो सकता है क्योंकि फसल का उत्पादन पहले के अनुमान से कम है। देश की सबसे बड़ी दलहन फसल चने की स्थिति देखें तो कारोबारी सूत्रों का कहना है कि इसका उत्पादन 90 लाख टन से कम हुआ है।