आपूर्ति में कमी के कारण बाजार में धनिया के मूल्य सातवें आसमान पर हैं। धनिया की कीमत जून महीने में 8,000 से 9,000 रुपये प्रति क्विंटल थी जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 4,000-4,500 रुस्पये प्रति क्विंटल थी।
पिछले वर्ष के मुकाबले कीमतों में 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। गुजरात में बाजार से जुड़े लोगों का मानना है कि मूल्यों में हुई वृध्दि की वजह मुख्य रुप से धनिया की खेती करने वाले राज्यों जैसे राजस्थान और मध्य प्रदेश में फसल की विफलता है। अहमदाबाद के धनिया के एक प्रमुख व्यापारी ने बताया, ‘धनिया की बुवाई नवंबर-दिसंबर महीने में की जाती है और मंडी में यह मार्च महीने से आने लगता है।
वर्ष 2007 में राजस्थान और मध्य प्रदेश में धनिया की फसल बारिश से प्रभावित हुई और परिस्थितियां तब और बुरी हो गईं जब पिछले पांच वर्षों से पिछला स्टॉक अगले सीजन तक के लिए नहीं बच पा रहा है।’ बाजार अनुमानों के अनुसार इन दोनों राज्यों में अनियमित बारिश की वजह से लगभग 60-70 प्रतिशत फसल प्रभावित हुई है। वर्तमान में बाजार में धनिया की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। थोक मूल्यों में हुई वृध्दि का प्रभाव खुदरा धनिया उत्पादों पर नजर आना शुरु हो गया है।
धनिया की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी से धना दाल (ध्निया से निर्मित एक माउथ फ्रेशनर) निर्माताओं ने इसके खुदरा मूल्यों में गुजरात में बढ़ोतरी की है। इसका प्रभाव इस बात से जाना जा सकता है कि भगत ब्रांड नेम वाला धना दाल जिसकी कीमत 50 पैसे प्रति पुड़िया हुआ करती थी अब 2 रुपये में 3 पुड़िये के हिसाब से मिल रही है और कहीं-कहीं तो इसकी कीमत 1 रुपये प्रति पुड़िया है। थोक विक्रेता पहले भगत धना दाल की 50 पुड़िया 15 रुपये में खरीदा करते थे जबकि अब उन्हें 23 रुपये देने होते हैं। धनिया में हुई मूल्य वृध्दि का असर पैक मसाला निर्माताओं पर भी पड़ रहा है।