इस बार दीपावली में दीये की लौ तेज रहेगी। इसलिए कि बाजार में खाद्य तेलों का स्टॉक भी भरपूर नजर आ रहा है और उनकी कीमत भी नहीं बढ़ने जा रही है।
पाम ऑयल के कमजोर होने से अब सरसों व सोयाबीन तेल का बाजार भी नीचे चला गया है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन की पहली खेप पहुंच चुकी है और अगले पंद्रह दिनों में इसकी पेराई भी शुरू हो जाएगी।
तेल कारोबारियों के मुताबिक पाम ऑयल खुले बाजार में 450 रुपये प्रति 10 किलोग्राम के भाव से बिक रहा है। कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) की कीमत 370-380 रुपये प्रति 10 किलोग्राम है। पाम तेल में आई इस गिरावट का असर सरसों व सोयाबीन तेल पर भी अब साफ दिखने लगा है। सरसों तेल थोक बाजार में फिसल कर 65 रुपये, तो सोयाबीन तेल 60 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहा है।
हालांकि दस दिन पहले तक सरसों 70-72 रुपये प्रति किलोग्राम, तो सोयाबीन तेल 68-69 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर था। बाजार सूत्रों के मुताबिक, देश के विभिन्न बंदरगाहों पर पाम ऑयल के 2 लाख टन का स्टॉक है। पहले के मुकाबले अब व्यापारियों को इसकी डिलिवरी लेने में भी कोई दिक्कत नहीं आ रही है क्योंकि उन्होंने कम कीमत पर ही उसका ऑर्डर भी किया था।
दिल्ली वेजीटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी कहते हैं, ‘इतनी बड़ी मात्रा में पाम ऑयल के स्टॉक से सरसों और सोयाबीन कब तक बचते।’ खाद्य तेल व्यापारियों के मुताबिक सोयाबीन, कॉटन सीड एवं बिनौला की फसल तैयार होने से भी इन तेलों में गिरावट आयी है।
मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन के 20 हजार बैग ( 1 बैग= 100 किलोग्राम) की आवक हो चुकी है। इस बार सोयाबीन की फसल पिछले साल के मुकाबले अधिक है। व्यापारी कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम ऑयल की कीमत में बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है। क्योंकि मलेशिया में रिकार्ड स्टॉक है तो कच्चे तेल की कीमत में हो रही लगातार कमी से पाम व सोया तेल का मनोबल गिरा हुआ है।
इसके अलावा सरकार भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वनस्पति तेलों का लगातार आयात कर रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने पीडीएस के तहत 10 लाख टन तेल आयात करने का लक्ष्य रखा है। यह अलग बात है कि खुले बाजार में पाम ऑयल की कीमत और पीडीएस की कीमत लगभग बराबर के स्तर पर आ गयी है।
सरसों तेल की कीमत घटकर थोक बाजार में 65 रुपये, तो सोयाबीन तेल 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है
सोयाबीन, कॉटन सीड एवं बिनौला की फसल तैयार होने से भी इन तेलों की कीमतों में गिरावट आयी है