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जैविक केले की खेती के लिए अनुबंध

Last Updated- December 06, 2022 | 11:01 PM IST

केलों का निर्यात करने वाली भारत की पहली कंपनी देसाई फ्रुट एंड वेजिटेबल्स (डीएफवी)अब ‘जैविक केले’ की खेती की योजना बना रही है।


विदेशों में इस प्रकार के केले की मांग की देखते हुए नवसारी स्थित डीएफवी ने गुजरात में इसकी खेती के लिए पूरी तैयारी कर ली है। आर्गेनिक बनाना की खेती फिलहाल ट्रायल के लिए की जाएगी। इस वास्ते गुजरात की विभिन्न जगहों पर 80 एकड़ जमीन का भी चुनाव कर लिया गया है।


इस काम के लिए कंपनी वहां के किसानों के साथ अनुबंध कर रही है। इस ट्रायल की जल्द ही शुरुआत कर दी जाएगी। डीएफवी के चेयरमैन अजीत देसाई कहते हैं, ‘विदेशों में उन केलों की काफी मांग है जिसकी खेती कीटनाशक व खाद के बगैर की जाती है। हमलोग पहली बार आर्गेनिक बनाना की खेती की योजना बना रहे है।’


इस ट्रायल के बाद कंपनी काफी बड़े स्तर पर आर्गेनिक बनाना की खेती करेगी। यह कंपनी ठेके के आधार पर केले की खेती करवाती है। वर्ष 2006-07 के दौरान कंपनी ने 240 एकड़ जमीन पर केले की खेती की थी जो वर्ष 2007-08 के दौरान बढ़कर 720 एकड़ हो गयी। डीएफवी के साथ हजारों किसान जुड़े है। वर्ष 2008-09 के दौरान कंपनी इस रकबे को बढ़ाकर 6,500 एकड़ करने की योजना बना रही है।


हालांकि व्यावसायिक आधार पर आर्गेनिक बनाना की खेती शुरू करने में डीएफवी को अभी समय लगेगा। डीएफवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंकज खंडेलवाल कहते हैं, ‘जमीन को केमिकल से मुक्त करने में दो महीने का समय लगेगा। हमलोगों को जमीन को केमिकल से बिल्कुल मुक्त करने के लिए काफी काम करना होगा। बड़े पैमाने पर कंपनी को आर्गेनिक केले की खेती शुरू करने में कम से कम दो साल का समय लगेगा।’


उन्होंने कहा कि गुजरात में शायद यह पहली बार होगा कि कोई कंपनी आर्गेनिक बनाना की खेती के लिए किसानों से अनुबंध कर रही है। अबतक कंपनी ने मध्य पूर्व के देशों में 18 टन केले का निर्यात की है। इन केलों को 50 कंटेनर के जरिए भेजा गया है। हालांकि इन सभी कंटेनरों को ट्रायल के लिए भेजा गया है। डीएफवी मध्यपूर्व के अलावा जापान, अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोप के अन्य देशों में फलों का निर्यात करती है।

First Published - May 12, 2008 | 11:18 PM IST

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