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कंपनी-कमोडिटी निशाने पर

Last Updated- December 05, 2022 | 9:26 PM IST

महंगाई की मार से बेचैन सरकार की ओर से कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से कई कदम उठाए गए हैं।


अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और फारवर्ड मार्केट कमीशन भी कुछ कठोर मौद्रिक उपाय अपनाने की योजना बना रहे हैं, ताकि जरूरी वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश  लगाया जा सके। इसके तहत आरबीआई कंपनियों और कमोडिटी व्यापारियों को बैंकों की ओर से दी जाने वाली क्रेडिट सुविधाओं की समय अवधि में कुछ कटौती करने का इरादा बना रहा है।


उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कंपनियों को अधिकतम 180 दिनों की वर्किंग कैपिटल की छूट दी जाती है, जिसे घटाकर 15 से 30 दिन किया जा सकता है। गौरतलब है कि दीर्घावधि के लिए 3 से 5 साल के लिए लोन दिया जाता है, लेकिन वर्किंग कैपिटल के तहत अल्पावधि के लिए ऋण मुहैया कराया जाता है।


कमोडिटी मार्केट की विनियामक संस्था फारवर्ड मार्केट कमीशन भी इस बारे में सख्त रुख अपना रही है। उसने पहले ही सभी कमोडिटी एक्सचेंजों को इस बारे में हिदायत दे दी है कि वायदा कारोबार में होने वाले लिक्विड करार और ट्रेडिंग पैटर्न पर कड़ी नजर रखे। एफएमसी के चेयरमैन बी. सी. खटुआ ने कहा है कि लिक्विड करार के लिए समय और कीमत की जानकारी बाजार के कारोबारियों को होनी चाहिए और एक्सचेंज को खासतौर से इस बारे में नजर रखनी होगी।

First Published - April 15, 2008 | 3:16 AM IST

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