फॉरवर्ड मार्केट कमीशन की ओर से एमएमटीसी और इंडियाबुल्स के मल्टी- कमोडिटी एक्सचेंज के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद से कमोडिटी एक्सचेंज बनाने की नई जंग कॉरपोरेट घरानों में शुरू हो गई है।
इसमें ताजा नाम जुड़ा है, रेलीगेयर का, जिसके प्रवर्तक मालविंदर सिंह और शिवेंदर सिंह भी इस क्षेत्र में उतरने का मन बना रहे हैं। कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि फिलहाल इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन कंपनी तमाम अवसरों पर नजर रख रही है और उस पर गंभीरता से विचार कर रही है।
पिछले दिनों ही रेलीगेयर टेक्नोवा ने इंटर-कनेक्टेड स्टॉक एक्सचेंज में 5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है, जिसके प्रवर्तक 13 क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज का संचालन करते हैं। इसी क्रम में बीते शुक्रवार को अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस मनी भी अहमदाबाद स्थित नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान कर चुकी है।
उद्योग जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि रेलीगेयर की ओर से क्षेत्रीय कमोडिटी एक्सचेंज में हिस्सेदारी खरीदने का मकसद भविष्य में नेशनल एक्सचेंज में हाथ आजमाना है। इनके अलावा, कोटक महिंद्रा बैंक समेत कई अन्य कॉरपोरेट घराने इस क्षेत्र में आने की तैयारी कर रहे हैं। कोटक महिंद्रा बैंक अहमदाबाद कमोडिटी एक्सचेंज में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने के प्रस्ताव पर फॉरवर्ड मार्केट कमीशन की अनुमति का इंतजार कर रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि तमाम कॉरपोरेट घराने कमोडिटी एक्सचेंज के कारोबार में उस समय उतरने की तैयारी कर रहे हैं, जब सरकार की ओर से कई जिंसों (आलू, दाल, रबर आदि) के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही सरकार वायदा कारोबार पर नजर रखने और उसे बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए फॉरवर्ड मार्केट कमीशन को और अधिकार सौंपने की तैयारी कर रही है।
खास बात यह कि कमोडिटी कारोबार में कई विदेशी निवेशक भी निवेश कर रहे हैं। गोल्डमैन सैक्स, फिडेलिटी और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पहले ही भारतीय कमोडिटी एक्सचेंजों में निवेश कर चुके हैं। फिडेलिटी इंटरनेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में 9 फीसदी हिस्सेदारी खरीद चुकी है, जबकि न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज यूरोनेक्स्ट की इसमें 5 फीसदी हिस्सेदारी है। गोल्डमैन सैक्स के पास नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में 7 फीसदी हिस्सेदारी है। आने वाले समय में कई अन्य विदेशी निवेशक कमोडिटी एक्सचेंज में निवेश कर सकते हैं।
क से कमोडिटी तो क से कमाई
एमएमटीसी और इंडियाबुल्स को मिली मंजूरी से छिड़ी नई जंग
रेलीगेयर, रिलायंस मनी और कोटक महिंद्रा बैंक भी कतार में
गोल्डमैन सैक्स, फिडेलिटी और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पहले ही ले चुके हैं हिस्सेदारी
पिछले साल कमोडिटी एक्सचेंजों में हुआ था 44 लाख 66 हजार करोड़ रुपये का वायदा कारोबार