भारत इस सप्ताह के आखिर में वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए करीब 40 ब्लॉकों की पेशकश करने जा रहा है। इसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र की इकाइयां निवेश कर सकेंगी। कोयला वाले राज्यों के बड़े शहरों में इसके लिए रोड शो किया जाएगा। यह ऐसे समय में होने जा रहा है, जब कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में निवेशकों की धारणा पर असर डाला है और कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था को लेकर वैश्विक दबाव है।
बहरहाल अधिकारियों को उद्योग की ओर से बेहतर प्रतिक्रिया आने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए साल की शुरुआत में खनिज एवं खनन (विकास एवं नियमन) अधिनियम में संशोधन किया गया था। पहले के प्रावधानों में विदेशी निवेशक तभी कोयला खदान पाने के पात्र हो सकते थे, जब उनकी परिचालन में कोयला खदान हो। घरेलू कंपनियों के लिए इसकी जरूरत नहीं थी।
कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन एके झा ने विश्लेषकों के साथ हाल ही में एक चर्चा के दौरान कहा, ‘पात्रता की शर्तें खत्म करके सरकार ने इस क्षेत्र में पूंजी का प्रवाह आसान किया है।’
नीलामी विभिन्न चरणों में होगी और अधिकतम 25 करोड़ टन सालाना उत्पादन वाली क्षमता की खदान की पेशकश के साथ इसकी शुरुआत होगी। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम राजस्व साझा के लिए खदानों की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन इसके पीछे सरकार का राजस्व बढ़ाने का विचार नहीं है, बल्कि बेहतरीन कोयला बाजार और कोयले की घरेलू उपलब्धता में सुधार है।’
कोयला मंत्रालय रांची, रायपुर और नागपुर जैसे शहरों में कुछ निवेशक सम्मेलन और रोड शो कराने पर विचार कर रहा है, जिससे निवेश आकर्षित किया जा सके। एक अधिकारी ने कहा, ‘हम देखेंगे कि ये रोड शो डिजिटल होंगे या शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए आमने सामने बैठक हो सकती है। वित्तीय बोली के पहले 60 दिन का समय होगा, जिसकी वजह से पर्याप्त समय है।’
इंदिरा गांधी सरकार द्वारा 1973 में कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किए जाने के बाद यह क्षेत्र दशकों तक केवल उन क्षेत्रों के लिए खुला था, जिनकी परियोजनाएं कोयले से जुड़ी थीं। केंद्र सरकार ने कोयला खदान विशेष प्रावधान (सीएमएसपी) अधिनियम 2015 के माध्यम से निजी कंपनियों को खनन व बिक्री का अधिकार दिया। इसका मतलब यह हुआ कि निजी कंपनियां खनन कर कोयले की बिक्री खुले बाजार में कर सकेंगी और कोयला खनन के लिए उन्हें किसी खपत करने वाली इकाई जैसे बिजली, स्टील या सीमेंट संयंत्र लगाने की जरूरत नहीं होगी। एक साल बाद 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने वाणिज्यिक उद्देश्य से कोयला खदानों की नीलामी के तरीकों को मंजूरी दी। नीलामी के लिए 2019 में करीब 25 ब्लॉक चिह्नित भी किए गए, लेकिन बोली का आयोजन नहीं हो सका।
मई में कैबिनेट द्वारा मंजूरी नई बोली प्रक्रिया में प्रक्रिया को आसान किया गया है और इसे निवेशकों के हितों के अनुकूल बनाया गया है। नए नियम में शुरुआती शुल्क भुगतान कम करना होगा, जिससे छोटे कारोबारियों के आकर्षित होने की संभावना है।
