केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना को गति देने के लिए कोल इंडिया (सीआईएल) ने घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए 40,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं विकसित करने पर काम कर रही है।
खनन कंपनी शुरुआती कनेक्टिविटी और कोयला हैंडलिंग संयंत्र में सुधार के लिए 35 परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनमें ज्यादा रेल लाइनें बनाना भी शामिल है।
इन 35 परियोजनाओं की कोयला हैंडलिंग की क्षमता वित्त वर्ष 24 तक अनुमानित रूप से सालाना 40.5 करोड़ टन होगी। हर खनन परियोजना की उत्पादन क्षमता 40 लाख टन सालाना और इसके ऊपर होगी।
सीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अब तक इनमें से 3 परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं। शेष 32 परियोजनाओं में से 29 का आवंटन हो चुका है और वे निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। शेष 3 के लिए निविदा की जांच चल रही है।’
पिछले साल जून महीने में वित्त मंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत 50,000 करोड़ रुपये का आवंटन कोल इवैकुएशन इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए किया था। इसमें मशीनों से कोयले की ढुलाई के लिे 18,000 करोड़ रुपये आवंटन शामिल है। यह कदम कोयला आयात कम करने की सरकार की कवायद का हिस्सा है।
पहले चरण के तहत शुरुआती कनेक्टिविटी या कोयला खदान से लदान के केंद्र तक पहुंचाने की सुविधा विकसित करने के लिए सीआईएल रेल कनेक्टिविटी परियोजनाएं बढ़ाकर 24 करेगी। यह अभी 11 हैं। इन केंद्रों पर कोयला हैंडलिंग संयंत्र भी होंगे, जिससे तेजी से लोडिंग हो सके। दूसरे चरण में सीआईएल 14 और शुरुआती कनेक्टिविटी परियोजनाएं स्थापित करेगी। शुक्रवार को सीआईएल की सहायक इकाई महानदी कोलफील्ड्स ने ओडिशा के तलचर कोलफील्ड्स में 10वें रेलवे साइडिंग का उद्घाटन किया। कंपनी ने कहा कि इससे खदान की लदान क्षमता बढ़कर 40 लाख टन हो जाएगी। सीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सीआईएल हमारी 4 सहायक इकाइयों में 21 नई और पुरानी रेलवे साइडिंग बना रही है, जो 132 परिचालन वाली साइडिंग के अतिरिक्त है। इससे ग्राहकों को कोयले की लदान करने में सहूलियत बढ़ेगी। कंपनी 12 रेल लाइन परियोजनाओं के लिए भी वित्तपोषण कर रही है। मौजूदा रेल साइडिंग में सुधार और नए के निर्माण से तेजी से लोडिंग की सुविधा मिल सकेगी और भविष्य में लोडिंग की मात्रा में सुधार होगा।’