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कोयला खनन के लिए केंद्र करेगा भूमि अधिग्रहण!

Last Updated- December 15, 2022 | 3:00 AM IST

आगामी वाणिज्यिक कोयला नीलामी में कोयला खनन की प्रक्रिया आसान बनाने की कवायद के तहत केंद्र सरकार कोयला धारक क्षेत्र अधिनियम, 1957 के तहत भूमि अधिग्रहण की अनुमति देने पर विचार कर रही है। इसके तहत केंद्र सरकार को जमीन अधिग्रहण की शक्ति मिलेगी और उसके बाद वह खननकर्ताओं को पट्टे पर देगी।
फिक्की की ओर से वाणिज्यक कोयला खनन पर आयोजित चर्चा में हिस्सेदारों को संबोधित करते हुए वाणिज्यिक कोयला नीलामी के लिए नामित प्राधिकारी और कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव एम नागराव ने कहा कि केंद्र सरकार केवल मदद कर सकती है, यह खननकर्ताओं का काम है कि वे जमीन अधिग्रहण के लिए राज्य के साथ कवायद करें। नागराव ने कहा, ‘केंद्र सरकार एक पहल पर विचार कर रही है, जिसमें कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) अधिनियम, 1957 के तहत भूमि अधिग्रहण की अनुमति दी जा सकती है और उसके बाद खननकर्ताओं को जमीन पट्टे पर दी जा सकती है।’
इस अधिनियम के तहत जमीन का अधिग्रहण कोयला भंडार वाले क्षेत्रों में या उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए हो सकता है। इस अधिनियम के प्रावधान के तहत जमीन का अधिग्रहण सरकार की कंपनियों के लिए सिर्फ कोयला खनन और गतिविधियों तक सीमित रहता है।
जून में केंद्र ने निजी कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक खनन व बिक्री हेतु कोयला खदान नीलामी की प्रक्रिया शुरू की है। विदेशी कंपनियों, गैर खनन इकाइयों और बड़े खननकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए बोली की शर्तें उदार बनाई गई हैं।
कई हिस्सेदारों ने कोयला मंत्रालय से पर्यावरण व वन मंजूरी में लगने वाली अवधि के बारे में जानकारी मांगी। कोयला मंत्रालय के सचिव अनिल जैन ने कहा कि ब्लॉकों को पर्यावरण की पूर्व मंजूरी है। जैन ने कहा, ‘अब पर्यावरण मंजूरी में कम वक्त लगता है। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि अगले 6 से 12 महीने में वन मंजूरी में लगने वाले वक्त में कमी आएगी।’
एसबीआई के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर प्रबोध पारेख ने वाणिज्यिक खनन को लेकर कुछ समस्याएं सामने रखीं, जो कोयला खनन परियोजनाओं के लिए कर्जदाताओं द्वारा कर्ज देने से रोक सकती हैं। उन्होंने कहा कि केंध्र सरकार ने जहां वाणिज्यिक नीलामी में शर्तें निवेशकों के मित्रवत रखी है, वहीं कोयले की लदान को लेकर अभी सवाल बना हुआ है और इससे ऐसी खनन परियोजनाओं की वैधता पर सवाल खड़े होते हैं।
पारेख ने कहा, ‘हमने देखा है कि इस तरह की बड़ी परियोजनाओं को पर्यावरण व वन संबंधी मंजूरी में बहुत वक्त लगता है। हमने पाया है कि इन खदानों में नो-गो फॉरेस्ट एरिया में आने संबंधी चिंता भी होती है।’
सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरमेंट ने अपनी हाल की रिपोर्ट में कहा है कि नीलामी के लिए रखे गए 41 ब्लॉकों में 21 नो-गो सूची में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से 49 ब्लॉकों को कोयला खनन की मंजूरी दी गई है, जिनमें 9 नो-गो क्षेत्र थे।

ऋण गारंटी योजना में और बदलाव को तैयार : सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार छोटे उद्यमों को गारंटी मुक्त ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये की आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना में और बदलाव लाने को तैयार है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अनुसार वित्त मंत्री ने कहा कि घरेलू राजस्व प्राप्ति को लेकर इस समय चिंता है, क्योंकि पर्यटन, रियल एस्टेट, होटल एवं आतिथ्य तथा एयरलाइन क्षेत्र पर कोविड-19 महामारी का बहुत बुरा असर हुआ है। सीआईआई सदस्यों के साथ बंद कमरे में हुई बैठक में सीतारमण ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र में सुधार सरकार की अहम प्राथमिकता है। सीआईआई ने सीतारमण के हवाले से कहा, ‘तीन लाख करोड़ रुपये की गारंटी मुक्त ऋण योजना अब पेशेवरों के लिए खुली है और यदि जरूरत पड़ती है तो सरकार इसमें और बदलावों के लिए तैयार है।’ भाषा

First Published - August 25, 2020 | 11:35 PM IST

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