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Cabinet Decisions: 13,288 सहकारी समितियां, 2.9 करोड़ सदस्य और  NCDC को 2000 करोड़ की ‘ग्रांट-इन-एड’

ये समितियाँ डेयरी, मत्स्य, कपड़ा, चीनी, खाद्य प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोरेज, श्रमिक सहकारी समितियों और महिला नेतृत्व वाली सहकारी समितियों जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

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निमिष कुमार   
Last Updated- July 31, 2025 | 5:43 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) को ₹2000 करोड़ की केंद्रीय क्षेत्र योजना ‘ग्रांट-इन-एड’ को मंजूरी दे दी है। यह सहायता वित्त वर्ष 2025-26 से 2028-29 तक चार वर्षों के लिए दी जाएगी, जिसमें हर वर्ष ₹500 करोड़ का आवंटन किया जाएगा।

इस सहायता राशि के आधार पर NCDC खुली बाजार से ₹20,000 करोड़ तक की राशि जुटा सकेगा, जिसे वह सहकारी समितियों को नए प्रोजेक्ट्स की स्थापना, प्लांट्स के विस्तार और कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) के लिए ऋण के रूप में देगा।

  • कुल ₹2000 करोड़ की सहायता केंद्र सरकार के बजटीय समर्थन से दी जाएगी।
  • इसके बदले में NCDC बाजार से ₹20,000 करोड़ की पूंजी जुटाएगा।

इस योजना से देशभर की 13,288 सहकारी समितियों के लगभग 2.9 करोड़ सदस्य लाभान्वित होंगे। ये समितियाँ डेयरी, मत्स्य, कपड़ा, चीनी, खाद्य प्रसंस्करण, कोल्ड स्टोरेज, श्रमिक सहकारी समितियों और महिला नेतृत्व वाली सहकारी समितियों जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं।

कैसे होगा काम?

  1. NCDC योजना की कार्यान्वयन एजेंसी होगी, जो ऋण वितरण, निगरानी और पुनर्प्राप्ति का कार्य करेगी।
  2. ऋण सहकारी समितियों को राज्य सरकार के माध्यम से या प्रत्यक्ष रूप से NCDC दिशानिर्देशों के तहत दिए जाएंगे।
  3. ऋण का उपयोग परियोजनाओं की स्थापना, आधुनिकीकरण, तकनीकी उन्नयन, और कार्यशील पूंजी के रूप में किया जाएगा।

कैसे और किसको होगा फायदा?

  • यह सहायता आय-सृजक पूंजीगत संपत्तियों के निर्माण में सहायक होगी।
  • महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी और सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करने में मदद मिलेगी।
  • सहकारी समितियाँ अपनी उत्पादन क्षमता और लाभप्रदता बढ़ा पाएंगी, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए दिए गए टर्म लोन से विभिन्न कौशल स्तरों पर रोजगार पैदा होंगे।

भारत में 8.25 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ हैं, जिनके 29 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं। 94% किसान किसी न किसी रूप में सहकारी समितियों से जुड़े हैं। ये समितियाँ ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और क्रेडिट, बैंकिंग, डेयरी, मत्स्य, कपड़ा, विपणन, उपभोक्ता वस्तुएं, हथकरघा और आवास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। सरकार का यह कदम सहकारी क्षेत्र को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत की समावेशी प्रगति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

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First Published : July 31, 2025 | 5:37 PM IST