सरकार ने आज मसूर दाल के आयात पर बुनियादी सीमा शुल्क घटाकर शून्य कर दिया। साथ ही मसूर की दाल पर कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर आधा करके 10 प्रतिशत कर दिया है। इसका मकसद घरेलू आपूर्ति दुरुस्त करना और बढ़ती कीमतों से ग्राहकों को राहत देना है।
बुनियादी सीमा शुल्क और उपकर घटाए जाने के साथ मसूर दाल पर आयात शुल्क घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगा, जो पहले 30 प्रतिशत था। घटा सीमा शुल्क और उपकर मंगलवार से प्रभावी होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद मेंं यह जानकारी दी कि इस सिलसिले में अधिसूचना दोनों सदनों में रखी जाएगी।
वित्त मंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘ग्राहकों को राहत देने के लिए सरकार ने मसूर दाल पर सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। (बुनियादी सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर शून्य और कृषि बुनियादी ढांचा विकास शुल्क 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत किया गया है। इसकी वजह से मसूर की दाल की खुदरा कीमत मेंं कमी आएगी।’ अधिसूचना के मुताबिक बुनियादी सीमा शुल्क 10 प्रतिशत से घटाकर शूल्य कर दिया गया है, जिनका आयात अमेरकिा से इतर देशों से होता है।
साथ ही अमेरिका से आने वाली मसूर दाल पर बुनियादी सीमा शुल्क 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर (एआईडीसी) मौजूदा 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक मसूर दाल की खुदरा कीमत 1 अप्रैल के 70 रुपये किलो की तुलना में इस समय 21 प्रतिशत बढ़कर 85 रुपये किलो हो गई है। सोमवार को धारवाड़ में इसका अधिकतम बिक्री मूल्य 120 रुपये किलो और वारंगल और राजकोट में इसका न्यूनतम बिक्री मूल्य 71 रुपये किलो था।