वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने आज कहा कि कोविड-19 के कारण आए व्यवधानों के बावजूद सरकार की ओर से नीतिगत स्तर पर उठाए गए कदमों और नए बाजारों तक उत्पादों के विस्तार के कारण कृषि निर्यात में तेज वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछले 3 साल तक निर्यात में स्थिरता के बाद वर्ष 2020-21 में भारत का कृषि और संबद्ध उत्पादों का निर्यात 17.34 प्रतिशत बढ़कर 41.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सरकार का कहना है कि. चालू वित्त वर्ष में भी वृद्धि की गति बने रहने की उम्मीद है। वर्ष 2017-18 में 38.43 अरब डॉलर, वर्ष 2018-19 में 38.74 अरब डॉलर निर्यात के बाद 2019-20 में गिरावट के साथ 35.16 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।
वधावन ने वर्चुअल बातचीत में संवाददाताओं से कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में निर्यात में 43 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 के कारण मिले अवसरों के कारण वृद्धि दर्ज हुई है। दिसंबर 2018 में लाई गई कृषि नीति के बाद विभिन्न कार्यक्रम चलाए गए, इनका भी असर पड़ा। इसे जिला व क्लस्टर स्तर पर लागू किया गया। तमाम संकुलों और जिलों से पहले निर्यात नहीं होता था, अब वहां से निर्यात हो रहा है। ‘
भारत से अनाज, गैर-बासमती चावल, गेहूं, बाजरा, मक्का और अन्य मोटे अनाज के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई है। भारत के कृषि उत्पादों के बड़े बाजारों में अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, नेपाल, ईरान और मलेशिया शामिल हैं। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इंडोनेशिया को होने वाले निर्यात में सबसे ज्यादा 102.42 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। इसके बाद बांग्लादेश (95.93 प्रतिशत) और नेपाल (50.49 प्रतिशत)का स्थान है।
इसके अलावा पहली बार कई संकुलों से निर्यात हुआ है, उदाहरण के लिए, वाराणसी से ताजी सब्जियों और आमों का निर्यात और चंदौली से काले चावल का निर्यात किया गया।
वाणिज्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव दिवाकर नाथ मिश्र ने कहा कि 2020-21 में भारत से मोटे अनाज की मांग तेज रही और कई देशों में पहली बार माल भेजा गया। उदाहरण के लिए तिमोर-लेस्ते, पोर्तो रिको, ब्राजील आदि जैसे देशों में चावल का निर्यात पहली बार किया गया।
इसी तरह से यमन, इंडोनेशिया, भूटान आदि में पहली बार गेहूं का निर्यात किया गया। वहीं सूडान, पोलैंड, बोलिविया में अन्य मोटे अनाज भेजे गए। इसके अलावा बाजरा, अदरक, हल्दी, क्विनोवा जैसे स्वास्थ्य उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के चेयरमैन एम अंगामुथु ने कहा कि ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ रही है। मोटे अनाज और बाजरा, मसाले और चटनी, चाय, औषधीय पौधों के उत्पाद, सूखे मेवे, चीनी सहित ऑर्गेनिक उत्पादों का निर्यात 51 प्रतिशत बढ़कर 104 करोड़ डॉलर हो गया है। महामारी के कारण इन उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कीटनाशक के अपशिष्ट मिलने की समस्या ने यूरोपीय संघ को बासमती चावल निर्यात को प्रभावित किया है, क्योंकि यूरोपीय संघ द्वारा ट्राईसाइक्लाजोल और बुप्रोफेजिन जैसे रसायनों के लिए कड़े मानदंड लागू किए गए हैं। भारत में इनका धान की खेती में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यूरोपीय संघ को बासमती निर्यात के लिए निर्यात निरीक्षण परिषद (ईआईसी) का परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे निर्यात उत्पादों में सतर्कता बरतने के मामलों में कमी आई है। बयान में कहा गया है कि इसके परिणामस्वरूप, पंजाब ने खरीफ सत्र 2020 के दौरान ट्राइसाइक्लाजोल और बुप्रोफेजिन सहित 9 रसायनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
वधावन ने सर्विसेज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एसईआईएस) के बारे में पूछे जाने पर कहा कि जब विभाग नई विदेश व्यापार नीति बनाएगा तो हिस्सेदारों से फीडबैक लेने के बाद इस क्षेत्र के लिए कदम उठाए जाएंगे।