भारत में धान की खेती में सीधे धान की बोआई (डीएसआर) की बड़े पैमाने पर स्वीकार्यता सभी हिस्सेदारों की मिलीजुली कोशिश पर निर्भर है। इस मामले पर आए एक नए श्वेत पत्र में कहा गया है कि इसमें कृषि इनपुट, खेती का मशीनीकरण करने वाली कंपनियां, विस्तारित सेवाएं, फसल प्रबंधन सलाहकार और सरकारें शामिल हैं।
इसमें कहा गया है कि बीज उद्योग की इस समय धान की ऐसी किस्मों पर नजर है, जिनको कम पानी की खपत से तैयार किया जा सके और शुष्क और प्रतिकूल परिस्थितियों में फसल तैयार हो सके।
श्वेत पत्र में कहा गया है, ‘इन गतिविधियों का मकसद ऐसी फसल को अपनाना है, जिसमें रोपाई के बराबर या अधिक पैदावार हो सके और खरपतवार, कीटों और रोग के प्रबंधन से स्वस्थ पौधे तैयार हो सकें। हालांकि ज्यादा पैदावार वाली धान की किस्में रोपाई वाली ही हैं, जो बोआई के लिए सही नहीं हैं और इनकी बोआई से उत्पादन 10 से 30 प्रतिशत कम हो जाता है।’
यह श्वेत पत्र फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्रीज ऑफ इंडिया (FSII) और सद्गुरु कंसल्टेंट की ओर से जारी किया गया है, जिसमें विभिन्न स्रोतों और चर्चाओं से सूचनाएं ली गई हैं।