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चाय के प्याले में तेजी का तूफान

Last Updated- December 10, 2022 | 10:07 PM IST

नये सीजन के दौरान बाजार में आई चाय ने कीमतों का एक दशक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
भारतीय चाय संघ के अध्यक्ष आदित्य खेतान ने कहा कि नई चाय की कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में 20 से 25 रुपये अधिक मूल्य पर खुली थीं। चाय की कमी को देखते हुए कीमतों में इस प्रकार की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा था।
हालांकि, मार्च में फसल को पहुंची क्षति के बाद चाय की वैश्विक कमी हो जाने से अनुमान लगाया जा रहा था कि आगे कीमतों में और बढ़ोतरी होगी। दुआर्स चाय की बिक्री कीमतों में 20 से 25 रुपये प्रति किलो की बढ़त के साथ 125 से 160 रुपये प्रति किलो पर हो रही थी जबकि कम मात्रा में बाजार में आई असम चाय कीमतों में इतनी ही बढ़त के साथ 140 से 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही थी।
लेकिन यह केवल शुरुआत थी। सीजन की शुरुआत चाय की कमी के साथ हुई थी और ऊपर से असम में बारिश की कमी से मार्च की फसल में भी 20 से 30 प्रतिशत की कमी आई। उत्तरी बंगाल के दुआर्स और ऊपरी असम के उत्तरी क्षेत्रों में असामान्य रूप से बारिश नहीं होने से नई चाय के आने में लगभग दो हफ्ते का विलंब हुआ।
भारतीय चाय बोर्ड के अध्यक्ष बासुदेव बनर्जी ने कहा, ‘साल के शुरुआत में ही लगता है, जैसे चाय की कमी हो गई हो।’ यद्यपि चाय बोर्ड इस वर्ष के आकलनों की समीक्षा करेगा लेकिन उत्पादन संबंधी अनुमानों की समीक्षा यह शायद ही करे। बनर्जी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर चाय की कमी है। उन्होंने कहा, ‘श्रीलंका के लिए यह 10 सालों का न्यूनतम है।’
चाय उद्योग का अनुमान है कि कीमतें अपेक्षा से कहीं अधिक बढ़ेंगी। खेतान ने कहा, ‘हम कीमतों में 25 से 30 रुपये प्रति किलो की बढ़त का अनुमान कर रहे थे लेकिन कीमतें अनुमान से कहीं बेहतर रहेंगी। अगर अप्रैल में भी मौसम इतना ही शुष्क रहा तो चाय की कमी में और इजाफा हो सकता है।’
साल 2008 में चाय के 9,620 लाख किलो के उत्पादन, 2,000 लाख किलो के निर्यात, 200 लाख किलो के आयात और 8,250 लाख टन की खपत का अनुमान लगाया गया है।
कोलकाता में आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक चाय की नीलामी आयोजित करवाने वाले कोलकाता टी ट्रेडर्स एसोसिएशन के भूतपूर्व अध्यक्ष आजम मोनेम ने कहा कि मार्च की फसल जो आम तौर पर लगभग 310 लाख किलो होती थी, इस बार लगभग 280 लाख किलो होगी। संकेत इस बात के भी थे कि अप्रैल की फसल भी 10 प्रतिशत कम होगी।
पिछले वर्ष उत्पादन के मामले में अप्रैल माह ने रिकॉर्ड बनाया था। इस माह में 550 लाख किलोग्राम का उत्पादन हुआ था जबकि सामान्यतया 400 से 420 लाख किलो का उत्पादन होता है।

First Published - March 30, 2009 | 9:30 PM IST

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