सर्राफा बाजार में हो रहे उतार-चढ़ाव के कारण बीते डेढ़ महीनों के दौरान जेवरात के निर्यात में लगभग 25 फीसदी की गिरावट आयी है।
निर्यात प्रोत्साहन से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक कीमत में स्थिरता के बाद ही निर्यात में बढ़ोतरी की गुंजाइश है। हालांकि सरकार जेवरात के निर्यातों को बढ़ाने के लिए पूर्व सोवियत देशों के साथ जापान में भी निर्यात बाजार तैयार कर रही है।
जेम एंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के मुताबिक सोने के भाव के एक स्तर पर नहीं रहने के कारण विदेशों से जेवरात की मांग में लगातार कमी हो रही है। कीमत अधिक होती है तो ग्राहक सोचता है कि कीमत अभी कम होगी और कम होती है तो ग्राहक सोचता है अभी और कम होगी।
दो माह पहले सोने की कीमत छलांग के साथ 13,800 रुपये प्रति दस ग्राम के स्तर पर पहुंच गयी थी। सोमवार को इसकी कीमत 11,500 रुपये के आसपास रही। जीजेईपीसी के क्षेत्रीय निदेशक केके दुग्गल कहते हैं, ‘भाव कभी 500 रुपये प्रति दस ग्राम चढ़ जाते हैं तो कभी 300 रुपये प्रति दस ग्राम उतर जाते हैं। ऐसे में निर्यात बाजार का टूटना स्वाभाविक है।’
उन्होंने बताया कि बीते दो महीनों के दौरान जेवरात के निर्यात में लगभग 15 फीसदी की कमी आयी है जबकि इसके विकास की दर में 10 फीसदी की गिरावट हुई। कुल मिलाकर यह कमी 25 फीसदी की होती है। इसके निर्यात में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले रुपये के हिसाब से 22 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी तो डॉलर के हिसाब से यह कमी 20 फीसदी की रही।
इस साल अप्रैल से जून के दौरान 2163 करोड़ रुपये के जेवरात का निर्यात किया गया तो गत वर्ष इस अवधि के दौरान यह निर्यात 2786 करोड़ रुपये का रहा। कारोबारियों को उम्मीद है कि सितंबर तक सर्राफा बाजार स्थिर हो सकता है और फिर निर्यात की मांग निकलेगी।
सर्राफा बाजार संघ के पूर्व पदाधिकारी अवधेश चंद्र कहते हैं, ‘समुद्र में लहरें आती रहेंगी तो नाव कैसे चलेंगी। वैसे ही बाजार के लिए सबसे माकूल स्थिति उसका स्थिर होना होता है।’ वे यह भी कहते हैं कि जेवरात बनाने वाले श्रमिकों को संगठित व प्रशिक्षित कर भारत अपने निर्यात को बढ़ा सकता है।