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निर्यात में कमी का असर अब सूरत की डायमंड मंडी पर, 20,000 लोग नौकरी से निकाले गए

Last Updated- January 06, 2023 | 1:40 PM IST
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हीरे के निर्यात में आ रही कमी के मद्देनजर इस क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को इसकी मार झेलनी पड रही है। सुस्त निर्यात मांग की वजह से उत्पादन में लगातार कटौती की जा रही है। जेम्स एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के आंकड़ों के अनुसार, माजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान कटे और पॉलिश किए गए हीरों के कुल निर्यात में एक साल पहले की तुलना में 5.43 फीसदी की गिरावट आई है।

पिछले वित्तीय वर्ष में भारत से कटे और पॉलिश किए गए हीरों का कुल निर्यात 25.47 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था।

व्यापारियों के मुताबिक पश्चिम और चीन में कटे और पॉलिश किए गए हीरों की घटती मांग की वजह से सूरत में पिछले एक महीने में लगभग 20,000 श्रमिकों को काम से निकाल दिया गया है। दुनिया के लगभग 95 फीसदी हीरे की भारत में कटिंग और पॉलिशिंग होती है। सूरत को रफ डायमंड की कटिंग व पॉलिशिंग का हब माना जाता है।

हीरा व्यापारियों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध युद्ध के कारण भारत के हीरा उद्योग में अनिश्चितता कायम है। हमारे यहां तकरीबन 40 फीसदी हीरे की आपूर्ति रूस से होती है। आज भी भुगतान के मुद्दे हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है।

भारत के हीरा उद्योग का मुख्य केंद्र सूरत अपनी 4,000 से अधिक कटिंग और पॉलिशिंग इकाइयों में लगभग 800,000 श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है। लेकिन काम कम हो रहा है, जिससे यूनिटों को 60-70 फीसदी क्षमता पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

व्यापारियों के मुताबिक, उन्हें कम मजदूरों की जरूरत है। क्योंकि निर्यात घटने के कारण ज्यादा काम नहीं है। ज्यादातर फैक्ट्रियों में 30 फीसदी जगह खाली है। अमेरिका, यूरोप और चीन में मंदी की आशंका के चलते सूरत में अनिश्चितता का माहौल है।

हीरों के शहर सूरत में इस बात का भी डर है कि 2008 जैसी मंदी इस साल भी न आ जाए। कटे और पॉलिश किए गए हीरों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है, जिसके बाद चीन का स्थान है।

First Published - January 6, 2023 | 1:40 PM IST

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