संप्रग सरकार के बैनर तले ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी का जरिया उपलब्ध कराने वाली राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में 2009-10 के अंतरिम बजट में 30,100 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो इस साल के संशोधित अनुमान से केवल 100 करोड़ रुपये ज्यादा है।
इस योजना के लिए 2008-09 के लिए बजट अनुमान 14,400 करोड़ रुपये का था, लेकिन संशोधित अनुमानों में इसे बढ़ाकर 30,000 करोड़ रुपये कर दिया गया।
इसका मतलब यह हुआ कि पिछले साल के आम बजट में आवंटित धनराशि की तुलना में इसमें इस साल के अंतरिम बजट में 108 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इसमें अगर संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना को भी जोड़ लें, जो ग्रामीण रोजगार योजना के लिए उठाया गया एक अन्य कदम है, तो वर्तमान वर्ष में कुल खर्च 14,400 करोड रुपये से बढ़कर 37,750 करोड़ रुपये हो जाएगा।
संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत सरकार ने 6,750 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इस तरह से बजट में कुल बढ़ोतरी 155 प्रतिशत हो जाएगी। अंतरिम बजट में वर्ष 2008-09 आंकड़ों को संशोधित करते हुए इसमें 100 करोड़ रुपये अतिरिक्त की व्यवस्था की गई है ।
जिसमें 3.51 करोड़ परिवारों को शामिल करते हुए इसके माध्यम से 138 करोड़ 76 लाख श्रमदिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
इस योजना के तीन वर्ष पिछले महीने ही पूरे हुए हैं, जिसमें 3.51 करोड़ परिवारों को 40 दिन तक का रोजगार उपलब्ध कराया गया। अगर इसे एक परिवार की आमदनी के लिहाज से देखें तो प्रति परिवार की अनुमानित आमदनी मार्च और दिसंबर 2008 के बीच 4000 रुपये आती है।
अगर हम इस योजना में बजट आवंटन के आंकड़ों पर गौर करें तो तीन साल पहले जब यह योजना आई थी, तब से लेकर अब तक की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की गई है।
इस योजना में 2006-07 में 8,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, यह 2007-08 में बढ़क र 12,000 करोड़ रुपये हो गया और 2008-09 के बजट में इसे बढ़ाकर 16,000 करोड़ रुपये कर दिया गया।
संशोधित अनुमानों में इसे 30,000 करोड़ रुपये किया गया और दो अन्य संशोधनों के बाद कुल बजट 37,750 करोड़ रुपये हो गया। अगर ग्रामीण विकास मंत्री के शब्दों में कहें तो इसके पहले लागू की गई रोजगार योजनाओं में कभी भी 70 करोड़ से ज्यादा श्रमदिवस शामिल नहीं किए गए, जबकि नरेगा के माध्यम से 138.76 करोड़ श्रमदिवस उपलब्ध कराया गया।
इस योजना में करीब 49 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार मिला, जबकि इसमें 55 प्रतिशत अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग लाभान्वित हुए। वित्त मंत्री के रूप में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘इस योजना से रोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं, मजदूरी में सुधार आया है, अनुसूचित जाति और जनजाति तथा महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है। इससे श्रम आधारित उत्पादों की मांग में भी बढ़ोतरी हुई है।’
इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण रोजगार योजना, स्वर्ण जयंती ग्रामीण स्वरोजगार योजना, जिसके माध्यम से समूहों से जुड़ी 29 लाख महिलाओं को 2,115 करोड़ रुपये दिए जाने हैं। इस साल सरकार ने 1,933 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, लेकिन कुल 2115 करोड़ रुपये खर्च हुए।
बजट भाषण में यह कहा गया है कि वार्षिक रूप से 120 लाख नौकरियों के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे, लेकिन कौशल विकास योजना के विकास के लिए किसी फंड का इंतजाम नहीं किया गया है, जिसके माध्यम से लक्ष्य हासिल किया जा सके।