सोमवार को वित्तमंत्री का कार्यभार संभाल रहे प्रणब मुखर्जी ने अंतरिम बजट पेश किया।
बजट से पहले लोग कयास लगा रहे थे कि चुनावी साल में बजट दरअसल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का चुनावी गजट हो जाएगा। और हुआ भी कुछ ऐसा ही।
चुनावी वर्ष में सरकार द्वारा आज पेश अंतरिम बजट में अब तक के अपने कार्यकाल की तमाम उपलब्धियों को गिनाते हुए उम्मीद की गई कि आगामी लोकसभा चुनाव में जनता इस बात को पहचानेगी कि ये उपलब्धियां पाने में किसका हाथ रहा।
वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने लोकसभा में 2009-10 का अंतरिम बजट पेश करते हुए इसमें अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने और समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की गई।
पच्चीस साल पहले भी वित्त मंत्री के रूप में बजट पेश कर चुके मुखर्जी ने करों में कटौती की घोषणा तो नहीं की, लेकिन संकेत दिया कि करों की दरें कम की जाएंगी और उसका आधार बढ़ाया जाएगा।
देश के संसदीय इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ कि बजट पेश करने के दौरान सदन की बैठक दस मिनट के लिए स्थगित की गई। जनता दल (एस) सांसद वीरेन्द्र कुमार को सीने में दर्द की शिकायत के बाद लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित की।
मुखर्जी के भाषण में चुनाव हावी रहा, जिसे उन्होंने छिपाने की कोशिश भी नहीं की। उन्होंने भाषण के अंत में कहा कि हमारी जनता अगली सरकार को चुनने के लिए जल्द ही अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करेगी।