अंतरिम रेलवे बजट 2009-10 में रेल मंत्री ने यात्रियों को खुश करने का मौका नहीं छोड़ा है। इस बार लालू प्रसाद एक कदम आगे बढ़ते हुए उन यात्रियों को भी खुश करते हुए दिखाई दिए, जो पिछले दिनों किफायती विमानन कंपनियों की मनमर्जी से परेशान बैठे हैं।
लालू यादव ने 1 अप्रैल से लागू साधारण और वातानुकूलित (एसी) किरायों में दो प्रतिशत की छूट दी है, लेकिन उनके इस तोहफे से विमानन कंपनियों की शिकन बढ़ती दिखाई नहीं दे रही।
आज देश में लगभग आधा दर्जन किफायती विमानन सेवाएं देने वाली कंपनियां मौजूद हैं, लेकिन रेलवे को उन्हें पछाड़ देने में अभी काफी दूरी तय करनी होगी।
बेशक इस बार पहले ही विमानन कंपनियों पर मोटे किराये का बोझ है, ऐसे में रेल किराये कम कर रेल मंत्री ने बजट एयरलाइंस को कम दूरी वाली यात्राओं पर सोचने के लिए मजबूर जरूर किया है।
एमडीएलआर के मुख्य कार्याधिकारी कौसत्व धर का कहना है, ‘किरायों के घटने से थोड़ा बहुत फर्क तो पड़ सकता है, लोगों इधर से उधर जाते रहते हैं। अगर कम दूरी वाले पर्यटन की बात की जाए तो जरूर बजट एयरलाइंस को इसका असर देखने को मिलेगा, लेकिन लंबी यात्रा करने वाले हवाई यात्री रेलवे की तरफ नहीं बढ़ेंगे।’
गो एयर के एक अधिकारी ने अपना नाम छुपाने के नाम पर बताया, ‘जहां किराये कम होंगे यात्री तो वहीं जाएंगे। इन दिनों किराये ज्यादा होने के चलते पहले ही किफायती कंपनियों में यात्रियों की संख्या कम हो गई है। किराये कम तो यात्री ज्यादा फिर चाहे वह हवाई यात्रा हो या रेल यात्रा।’
कुछ विमानन कंपनियों का मानना है कि दो प्रतिशत की कटौती से उनके कारोबार में कोई फर्क नहीं पड़ सकता।
इस बात को स्वीकारते हुए इंडियन एयरलाइंस के एक अधिकारी का कहना है, ‘रेलवे के किराये कम होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। आज जो हवाई यात्री हैं, वे रेल में सफर नहीं करेंगे। अगर हम दो प्रतिशत का अंतर देखते भी हैं तो किसी भी रेल किराये में ज्यादा से ज्यादा 60-70 रुपये का अंतर आता है,
जिससे बजट एयलाइंस को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। लोग 60 से 70 रुपये के पीछे हवाई यात्रा करना नहीं छोड़ेंगे।’
जेटलाइट की प्रवक्ता ने इस बारे में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। दिल्ली की एयर टिकटिंग कारोबार से जुड़ी कंपनी रिया ट्रैवल के ब्रांड प्रबंधक एवं मार्केटिंग प्रमुख राजेश शर्मा का कहना है कि रेलवे में यात्रियों की संख्या में इजाफा हो सकता है।