पेट्रोलियम मंत्रालय ने सरकारी तेल कंपनियों को कम से कम दो साल तक नए पेट्रोल पंप नहीं खोलने का फरमान सुना दिया है। इसकी वजह इन कंपनियों को हो रहा घाटा बताई जा रही है।
पेट्रोलियम मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार ने सरकारी कंपनियों को दो वर्षों के लिए नए ईंधन स्टेशन बनाने से रोका है ताकि कंपनियां जो बाजार दरों से कम कीमतों पर ईंधन बेचने के कारण भारी नुकसान झेल रही हैं, उनकी लागत को कम किया जा सके। कंपनी ने शेयरधारकों को भेजी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी के पास देशभर में 500 आउटलेट खोलने की अनुमति है।
ओएनजीसी की सहायक कंपनी मेंगलोर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) ने अपने शेयरधारकों को सूचना दी है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने कंपनी को अगले दो वर्षों के लिए नए रिटेल आउटलेट खोलने से रोकने को कहा है, ताकि कंपनी पेट्रोल और डीजल की मार्केटिंग में लगातार हो रहे नुकसान की भरपाई कर सके। गौरतलब है कि सरकार ने जून में पेट्रोल और डीजल कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा किया था जो पिछले 12 वर्षों में सबसे बड़ा इजाफा है, लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में लगतार हो रहे इजाफे के सामने यह इजाफा कम है।
एक अधिकारी का कहना है, ‘पेट्रोलियम सचिव ने सरकारी तेल कंपनियों को अगले दो वर्षों के लिए नए रिटेल आउटलेट खोलने के लिए मना कर दिया है।’ इंडियल ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन एक दिन में लाखों डॉलर गंवा रही हैं, क्योंकि ये महंगाई दर से निपटने और गरीब तबके को बचाने के लिए सरकार की मदद के तहत सस्ते दामों पर ईंधन बेच रही हैं। तेल कंपनियां और सरकार दोनों नुकसान को बांट रही हैं।