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अंतरिम बजट : एकमात्र आर्थिक प्रोत्साहन उपाय की घोषणा

Last Updated- December 10, 2022 | 1:12 AM IST

प्रणब मुखजी द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट में आज एकमात्र आर्थिक प्रोत्साहन उपाय की घोषणा की गई। इसके अंतर्गत कुछ मजदूर बहुल क्षेत्र में काम करने वाले निर्यातकों के लिए ब्याज दर में मिलने वाली छूट योजना को छह महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है।
यह योजना, जिसके तहत निर्यात संबंधी ऋणों की ब्याज दरों में दो प्रतिशत की राहत दी जाती है, 31 मार्च 2009 को समाप्त होने वाली थी। हालांकि, इस घोषणा से निर्यातकों की मांग आंशिक रूप से पूरी हुई है। निर्यातक चाहते थे कि इस योजना की अवधि दिसंबर 2009 तक के लिए बढ़ा दी जाए।
मुखर्जी ने कहा, ‘वैश्विक आर्थिक संकट के कारण निर्यात पर पड़े विपरीत प्रभावों से निपटने के लिए मैं कुछ रोजगारोन्मुख क्षेत्र जैसे टेक्सटाइल (हैंडलूम और हैंडिक्राफ्ट सहित), कालीन, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, समुद्री उत्पादों और लघु तथा मध्यम उद्योगों के लदाई से पहले और बाद के ऋण की ब्याज दरों में दो फीसदी की राहत की अवधि को बढ़ाने का प्रस्ताव रखता हूं। इसकी अवधि 31 मार्च 2009 से बढ़ा कर 30 सितंबर 2009 कर दी गई है।’
घरेलू मांगों में तेजी लाने तथा वैश्विक आर्थिक संकट से बुरी तरह प्रभावित हुए कुछ क्षेत्रों के लिए दूसरे आर्थिक उपायों की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि नई सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
ब्याज दरों में राहत की योजना की अवधि आगे बढ़ाने में राजकोषीय लागत 500 करोड़ रुपये होगी। दिसंबर 2008 से जनवरी 2009 के बीच सरकार दो आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर चुकी है।
पहले प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा दिसंबर में की गई थी जिसके अंतर्गत उत्पाद शुल्क में चार प्रतिशत की कटौती की गई थी। इसकी राजकोषीय लागत 32,000 करोड़ रुपये की थी।
दूसरे प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा जनवरी के पहले सप्ताह में की गई। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय कंपनियों के लिए कर्च की राह को आसान बनाना था। आज मुखर्जी के बजट भाषण से उद्योग जगत को कुछ और आर्थिक कदम उठाए जाने की अपेक्षा थी।

First Published - February 16, 2009 | 6:56 PM IST

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