Economic Survey 205: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार, 31 जनवरी को संसद में इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey 2024-25) पेश किया। सर्वे के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.3-6.8% रह सकती है। वैश्विक अनिश्चितता के बीच महंगाई कंट्रोल में रहने और कंजम्पशन स्थिर रहने की उम्मीद है। ग्रामीण डिमांड में भी सुधार की संभावना है। पिछले इकोनॉमिक सर्वे को जुलाई 2024 में जनरल इलेक्शन के बाद पेश किया गया था।
इकोनॉमिक सर्वे भारतीय इकॉनमी की प्रोग्रेस, सरकारी पॉलिसीज और अगले फाइनेंशियल ईयर के आउटलुक का संकलन है। इसे इकोनॉमिक अफेयर्स के विभाग की इकोनॉमिक ब्रांच द्वारा तैयार किया जाता है, जिसके प्रमुख चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर होते हैं। वर्तमान में भारत सरकार के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी. अनंत नागेश्वरन हैं।
जानें आर्थिक सर्वे 2025 की 10 मुख्य बातें
आर्थिक सर्वे के मुताबिक, भारत की इकॉनमी वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3% से 6.8% के बीच ग्रोथ कर सकती है। मौजूदा वित्त वर्ष में 6.4% की ग्रोथ का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की इकॉनमिक ग्रोथ 8.2% रही थी। नागेश्वरन ने कहा कि भारत स्टेबल ग्रोथ के ट्रैक पर है, लेकिन ग्लोबलाइजेशन धीरे-धीरे कम हो रहा है। यह बदलाव भारत के लिए नए चैलेंज और अपॉर्च्युनिटी दोनों ला सकता है। लगातार ग्रोथ बनाए रखने के लिए भारत को इकॉनमिक रिफॉर्म्स पर फोकस करना होगा और अपनी यंग वर्कफोर्स का सही तरीके से यूज करना होगा।
भारत में FY24 में खुदरा महंगाई 5.4% से घटकर FY25 (अप्रैल-दिसंबर) में 4.9% पर आ गई है। इस गिरावट का मुख्य कारण कोर महंगाई में 0.9% की कमी है, जो खासतौर पर कोर सर्विसेज और फ्यूल प्राइसेज़ में गिरावट से जुड़ा है। सरकार ने बफर स्टॉक को मजबूत करने, ओपन मार्केट में स्टॉक रिलीज करने और इम्पोर्ट में ढील जैसे कदम उठाए, जिनसे महंगाई कंट्रोल करने में मदद मिली।
FY25 (अप्रैल-दिसंबर) में सब्जियों और दालों का कुल फूड इन्फ्लेशन में 32.3% योगदान रहा। सब्जियों की प्राइसेज़ में बढ़ोतरी का मुख्य कारण वेदर-रिलेटेड समस्याएं जैसे बाढ़, सूखा और तूफान हैं, जिनसे सप्लाई में दिक्कतें आईं। प्याज की प्राइसेज़ पर दबाव FY24 और FY25 में प्रोडक्शन कम होने की वजह से बना रहा। वहीं, टमाटर की कीमतें FY23 से ऊंची बनी हुई हैं क्योंकि यह जल्दी खराब होने वाला प्रोडक्ट है और इसका प्रोडक्शन कुछ चुनिंदा राज्यों में ही होता है।
दालों, ऑयल सीड्स, टमाटर और प्याज के प्रोडक्शन में बढ़ोतरी के लिए क्लाइमेट-रेजिस्टेंट फसलों पर रिसर्च और किसानों की ट्रेनिंग की जरूरत है। तूर दाल की सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने स्टॉक लिमिट लगाई और FY24 में 7.7 लाख टन तूर का इम्पोर्ट किया।
RBI और IMF का अनुमान है कि FY26 तक महंगाई दर 4% के आसपास आ सकती है। IMF ने FY25 में 4.4% और FY26 में 4.1% महंगाई दर का अनुमान दिया है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 2025 में कमोडिटी प्राइसेज़ में 5.1% की गिरावट हो सकती है, जिससे भारत की घरेलू महंगाई में राहत मिलने की उम्मीद है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत के कृषि सेक्टर ने वित्त वर्ष 2017 से 2023 के बीच औसतन 5% की सालाना ग्रोथ रेट दर्ज की है। 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की ग्रोथ रेट 3.5% रही। कृषि और संबंधित क्षेत्रों का सकल मूल्य वर्धन (GVA) FY15 के 24.38% से बढ़कर FY23 में 30.23% हो गया।
2024 में खरीफ फसलों का उत्पादन 1,647.05 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले 89.37 लाख मीट्रिक टन ज्यादा है। सरकार किसानों की इनकम बढ़ाने और कृषि को मजबूत करने के लिए कई स्कीमें चला रही है, जिनमें डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन, e-NAM और पीएम-किसान शामिल हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को प्रोडक्शन कॉस्ट से 1.5 गुना तय किया गया है, जिसमें अरहर, बाजरा, मसूर और सरसों जैसी फसलों के MSP में भारी बढ़ोतरी की गई है।
सिंचाई के लिए ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ स्कीम के तहत FY16 से FY25 के बीच 95.58 लाख हेक्टेयर जमीन को कवर किया गया है। पशुपालन सेक्टर भी तेजी से ग्रोथ कर रहा है, जिसका GVA में योगदान 5.5% है। FY23 में पशुपालन का कुल मूल्य ₹17.25 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जिसमें ₹11.16 लाख करोड़ अकेले मिल्क प्रोडक्शन से आया।
मछली उत्पादन FY23 में बढ़कर 184.02 लाख टन हो गया, जो FY14 में 95.79 लाख टन था। समुद्री उत्पादों का एक्सपोर्ट FY24 में ₹60,524 करोड़ तक पहुंच गया। फूलों की खेती (फ्लोरीकल्चर) को उभरता हुआ इंडस्ट्री माना जा रहा है, जहां FY25 की पहली छमाही में एक्सपोर्ट में 14.55% की बढ़ोतरी हुई।
अंगूर जैसे फलों के एक्सपोर्ट में भी इजाफा हुआ है, जहां FY24 में ₹3,460.70 करोड़ का एक्सपोर्ट रिकॉर्ड किया गया। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में भी तेजी देखी गई है। FY24 में एग्री-फूड प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट USD 46.44 बिलियन तक पहुंच गया, जिसमें प्रोसेस्ड फूड की हिस्सेदारी 23.4% है।
सरकार किसानों को e-NWR के जरिए फसलों के स्टोरेज पर लोन की सुविधा दे रही है और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) में 100% e-KYC लागू करने की दिशा में काम कर रही है। इन सभी प्रयासों का मकसद एग्रीकल्चर सेक्टर को मॉडर्न बनाना और किसानों की इनकम बढ़ाना है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, FY14 में सर्विस सेक्टर का GVA में योगदान 50.6% था, जो FY25 में बढ़कर 55.3% हो गया है। FY23 से FY25 के बीच सर्विस सेक्टर की ग्रोथ रेट 8.3% रही, जिसने देश की GDP को मजबूत बनाने में अहम रोल निभाया।
अप्रैल से नवंबर FY25 के दौरान सर्विसेज एक्सपोर्ट में 12.8% की तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई। स्किल्ड वर्कफोर्स की उपलब्धता, प्रक्रियाओं को आसान बनाने और रेगुलेशन में सुधार को मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर के जरिए 19 लाख प्रोफेशनल्स को रोजगार मिला है। वहीं, औसत मासिक डेटा खपत FY21 में 12.1 GB से बढ़कर FY24 में 19.3 GB हो गई है, जो डिजिटल उपयोग में बढ़ोतरी को दर्शाता है।
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आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रेडिट ग्रोथ स्थिर बनी हुई है, जिससे बैंकों की मुनाफ़ाखोरी बढ़ी है और NPA में गिरावट आई है। ग्रामीण वित्तीय संस्थानों की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जहां शुद्ध NPA 3.2% (FY23) से घटकर 2.4% (FY24) हो गया है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात मार्च 2023 में 67.5% से बढ़कर मार्च 2024 में 71.2% हो गया है।
मौद्रिक नीति ने मूल्य स्थिरता बनाए रखते हुए सतत विकास और लिक्विडिटी सुनिश्चित की है। भारतीय पूंजी बाजार में निवेशकों की संख्या पिछले चार सालों में दोगुने से अधिक होकर 4.9 करोड़ (FY20) से 13.2 करोड़ (2024) तक पहुंच गई है। प्राइमरी मार्केट (इक्विटी और डेट) से अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच ₹11.1 लाख करोड़ का संसाधन जुटाया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5% अधिक है।
बीमा क्षेत्र में भी अच्छा प्रदर्शन हुआ है, जहां FY24 में कुल बीमा प्रीमियम 7.7% बढ़कर ₹11.2 लाख करोड़ हो गया। पेंशन बाजार में तेजी बनी रही, और कुल पेंशन सब्सक्राइबर्स की संख्या सितंबर 2024 में 783.4 लाख तक पहुंच गई। वित्तीय समावेशन सूचकांक मार्च 2021 में 53.9 से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 पर पहुंच गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि स्वतंत्र नियामक संस्थानों में नियामक प्रभाव मूल्यांकन को संस्थागत करना वित्तीय क्षेत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।
भारत को अगले 20 साल में तेज ग्रोथ के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार निवेश की जरूरत है। पिछले 5 साल में सरकार ने फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया है। पब्लिक फंडिंग से अकेले ये जरूरतें पूरी नहीं होंगी, इसलिए प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ानी होगी। इसके लिए प्रोजेक्ट प्लानिंग, रिस्क और रेवेन्यू शेयरिंग, कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट और विवाद सुलझाने जैसे मामलों में सुधार जरूरी है।
नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन, पीएम-गतिशक्ति जैसी योजनाओं से प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट मिला है, लेकिन कई कोर सेक्टर्स में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट कम है। चुनाव और खराब मानसून के कारण Q1FY25 में कैपिटल खर्च धीमा रहा, लेकिन जुलाई-नवंबर 2024 में इसमें तेजी आई और 60% बजट खर्च हो चुका है। अगले महीनों में और तेजी की उम्मीद है।
FY16 से FY21 के बीच सिंचाई क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जहां यह 49.3% से बढ़कर 55% तक पहुंच गया। ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ योजना के तहत राज्यों को ₹21,968.75 करोड़ जारी किए गए, जिससे FY16 से FY25 के बीच 95.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में माइक्रो सिंचाई कवरेज हुआ। माइक्रो-इरिगेशन फंड से ₹4,709 करोड़ के लोन स्वीकृत हुए, जिनमें से ₹3,640 करोड़ वितरित किए गए। परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से 14.99 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया और 25.30 लाख किसानों को इसके लिए प्रेरित किया गया। साथ ही, 9,000 से अधिक नई प्राथमिक कृषि साख समितियां, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां स्थापित की गईं, जबकि 35,293 PACS को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र के रूप में विकसित किया गया।
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मार्च 2024 तक 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड एक्टिव हैं। संशोधित ब्याज सब्सिडी योजना से 5.9 करोड़ किसानों को लाभ मिला और 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के क्लेम प्रोसेस हुए। जमीनी स्तर पर कृषि क्रेडिट ₹8.45 लाख करोड़ (2014-15) से बढ़कर ₹25.48 लाख करोड़ (2023-24) हो गया। छोटे और सीमांत किसानों की हिस्सेदारी 41% से बढ़कर 57% हो गई है।
वित्त वर्ष 2023-24 में पीएम फसल बीमा योजना में किसानों की संख्या 26% बढ़ी। पीएम-किसान योजना से 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को लाभ मिला, जबकि 23.61 लाख किसान पीएम किसान मानधन योजना में जुड़े। कृषि कार्यों के लिए 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन मिलेंगे।
अभी तक 48,611 स्टोरेज प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है और ₹4,795.47 करोड़ की सब्सिडी जारी की गई है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देश की दो-तिहाई आबादी कवर हो चुकी है। सरकार ने स्मार्ट वेयरहाउस बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 के अनुसार, भारत के 14.72 लाख स्कूलों में 24.8 करोड़ छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, जिनकी एजुकेशन के लिए 98 लाख टीचर्स तैनात हैं। 2019-20 के मुकाबले स्कूलों में कंप्यूटर की उपलब्धता 38.5% से बढ़कर 2023-24 में 57.2% हो गई है। वहीं, इंटरनेट फैसिलिटी वाले स्कूलों का प्रतिशत 22.3% से बढ़कर 53.9% हो गया है।
ड्रॉपआउट रेट यानी स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में भी गिरावट आई है। प्राथमिक स्तर पर यह दर 1.9%, उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2% और सेकेंडरी लेवल पर 14.1% दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जरूरी है।
हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूशंस की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी गई है। 2014-15 में जहां इनकी संख्या 51,534 थी, वहीं 2022-23 में यह बढ़कर 58,643 हो गई, यानी 13.8% की ग्रोथ हुई है। इसके साथ ही फाइनेंशियल लिटरेसी और नूमरेसी टारगेट्स को हासिल करने के लिए पीयर टीचिंग जैसे इनोवेटिव मेथड्स को भी रिपोर्ट में हाईलाइट किया गया है।
भारत में एजुकेशन सिस्टम का यह अपग्रेडेशन बच्चों को मॉडर्न स्किल्स सिखाने और उन्हें बेहतर फ्यूचर के लिए तैयार करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए टार्गेटेड पॉलिसी, फाइनेंसिंग और बड़े ग्रिड इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्टमेंट की जरूरत बताई है। न्यूक्लियर एनर्जी को फॉसिल फ्यूल्स का विकल्प मानते हुए लो-एमिशन टेक्नोलॉजी और बैटरी स्टोरेज में रिसर्च पर जोर दिया गया है। ‘मिशन LiFE’ को पब्लिक मूवमेंट बनाने के लिए जागरूकता अभियान की जरूरत बताई गई है। मेंटल हेल्थ पर सर्वेक्षण में कहा गया है कि खराब जीवनशैली, सोशल मीडिया और जंक फूड का ज्यादा सेवन मानसिक समस्याओं को बढ़ाता है। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने और शारीरिक गतिविधियों से मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाया जा सकता है।