आयकर विभाग को अब किसी कंपनी या व्यक्ति के द्वारा आय कर के भुगतान की पूरी जानकारी पाने के लिए मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
माउस के एक क्लिक भर से अब आयकर विभाग कर दाता की पूरी जानकारी, क्षेत्रवार ब्योरा और सभी संबंधित जानकारी ले लेगा। विभाग 500 करोड़ रुपये की लागत से एक कंप्यूटरीकृत ढांचा तैयार कर रहा है जो बहुत जल्द पूरी होने वाली है।
इस व्यवस्था के तहत कर दाताओं की समूची जानकारी कंप्यूटर में दर्ज रहेगी। इस नई व्यवस्था के जरिए आधे से भी कम समय में कर दाताओं से जुड़ी जानकारियों को बदला जा सकता है। हालांकि, इस परियोजना को दो साल पहले ही पूरा किया जाना था, पर इसमें देरी हो गई। लेकिन अब थ्री टियर डाटाबेस इंस्टॉल होने के साथ यह काम पूरा हो जाएगा।
इस नई व्यवस्था से टैक्स रिटर्न प्रोसेसिंग की प्रक्रिया आसान हो जाएगी और संबंधित सभी जानकारियों को एक ही जगह समेटा जा सकेगा। खास तौर पर आयकर अधिकारियों के कंधे पर से काम के अत्यधिक बोझ को हल्का करने में यह व्यवस्था काफी कारगर होगी। अब वे टैक्स पॉलिसी, मूल्यांकन और डाटा की जांच करने में अपना समय लगा सकेंगे।
आयकर विभाग के देश भर में फैले 13,000 कंट्री वाइड इंट्रानेट उपभोक्ताओं के लिए अब एक ही डाटाबेस पर काम करना मुमकिन हो जाएगा। अभी 33 क्षेत्रीय कंप्यूटर केंद्रों में अलग-अलग ट्रांजेक्शन किया जाता है। आयकर विभाग पहले ही दिल्ली में एक राष्ट्रीय डाटा केंद्र की स्थापना कर चुका है, जिसका विस्तार मुंबई और चेन्नई में भी है।
दिल्ली के इस राष्ट्रीय डाटा केंद्र से देश भर में आयकर फैले आयकर विभाग के 745 दफ्तरों को जोड़ने के लिए एक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क भी तैयार किया गया है। विभाग ने अपने मौजूदा सॉफ्टवेयर को भी थोड़ा बेहतर बनाया है जिसकी मदद से इस महीने से डाटा केंद्र में डाटा को सुव्यवस्थित ढंग से ट्रांसफर किया जाने लगा है। इस कार्य में और बेहतर किस्म के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए विभाग ने संबंधित कंपनियों से निविदाएं भी मंगाई हैं।
जब तक डाटा ट्रांसफर का काम पूरा होता है तब तक सॉफ्टवेयर भी तैयार हो जाने की उम्मीद है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘जैसे ही हमारे पास नया सॉफ्टवेयर आ जाता है, कर दाता देश के किसी भी भाग से पेपरलेस रिटर्न फाइल कर सकेंगे।’