वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश करने के एक दिन बाद आज टेलीविजन समाचार चैनलों से बातचीत में कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद सुधार की रफ्तार को बरकरार रखने से भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नाजुक स्थिति से दुनिया की एक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिली।
सीतारमण ने सीएनबीसी टीवी18 से बातचीत में कहा कि सरकार को पूरा भरोसा है कि वह मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर लेगी और वृद्धि की दमदार रफ्तार को जारी रख पाएगी। उन्होंने रोजगार सृजन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कल्याणकारी उपायों के बारे में बताते हुए यह बात कही।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘मगर हमारा यह भी काम है कि समय-समय इसे उनके (रेटिंग एजेंसियों तक) संज्ञान में लाएं कि अर्थव्यवस्थाएं, खासकर भारत जैसे उभरते बाजार की अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बावजूद बेहतर कर रही हैं। हम बहुत सारे सुधार, प्रणालीगत सुधार कर रहे हैं और अब आप देख रहे हैं कि उनके परिणाम सामने आने लगे हैं।’
सीतारमण ने चुनाव पूर्व अंतिम बजट में गरीबों के लिए योजनाओं पर लाखों करोड़ रुपये खर्च करने के बजाए राजकोषीय सुदृढीकरण की राह पर चलने का निर्णय लिया ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।
अंतरिम बजट में कर नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया गया। खाद्य, उर्वरक एवं ईंधन पर सब्सिडी को 8 फीसदी तक घटा दिया गया और ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा के लिए आवंटन को अपरिवर्तित रखा गया।
सीतारमण ने सीएनबीसी टीवी18 से कहा कि रोजगार सृजन पर आंकड़ों में सुधार अवश्य होगा। उन्होंने भारतीय प्रबंध संस्थानों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘कॉलेज नियुक्तियां, आईआईएम जैसे परिसरों से भर्ती महत्त्वपूर्ण है, मगर मझोले एवं निचले क्रम में सृजित रोजगार पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘हमें भारत के रोजगार आंकड़ों को औपचारिक और अनौपचारिक यानी दोनों क्षेत्रों के संदर्भ में प्रस्तुत करने की जरूरत है ताकि इसे व्यापक आधार पर देखा जा सके।’
सीतारमण ने कहा, ‘मैं आश्वस्त नहीं हूं कि मैं यह बता पाऊंगी कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्या हो रहा है। आइए जानते हैं कि रोजगार के मामले में काफी कुछ बदलाव हुआ है। प्रवासन अब खुद को नए सिरे से परिभाषित करने जा रहा है।’
सीतारमण ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था एक नाजुक स्थिति से दुनिया की एक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। ऐसे में समय आ गया है कि सरकार एक श्वेत पत्र जारी करे।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘साल 2014 में हमने इतनी बुरी स्थिति वाली अर्थव्यवस्था को संभाला था। उस समय आर्थिक पंगुता और भ्रष्टाचार की स्थिति थी। उस समय हमें एक श्वेत पत्र की जरूरत थी। मगर प्रधानमंत्री ने लोगों को सर्वोपरि रखा।’
उन्होंने कहा, ‘अगर उस समय हम श्वेत पत्र लाते तो अर्थव्यवस्था की नाजुक स्थिति को देखते हुए कोई भी देश में निवेश नहीं करता।’ उन्होंने कहा, ‘हमने भारतीय अर्थव्यवस्था को नाजुक स्थिति से शीर्ष मुकाम पर पहुंचाया। इसलिए अब हम एक श्वेत पत्र लाने जा रहे है। इसके लिए यह बिल्कुल सही समय है।’
देश में इसी साल लोकसभा चुनाव होने हैं। सीतारमण ने कहा कि सरकार में लोगों को भरोसा कायम है।
उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, ‘जब लोगों को भरोसा है कि सरकार उनके लिए योजनाओं पर काम कर रही है, जब सभी योजनाएं लोगों तक पहुंच रही हैं, तो उनमें विश्वास पैदा हुआ है।’