Telecom Budget: सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष 2025 में दूरसंचार क्षेत्र से गैर-कर राजस्व प्राप्तियों के अनुमान में कोई बदलाव किए बिना उसे 1.2 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर रखा है। सरकार ने फरवरी में पेश हुए अंतरिम बजट में इस आंकड़े का अनुमान दिया था। यह वित्त वर्ष 2024 में इस क्षेत्र के 93,541 करोड़ रुपये के सरकार के संशोधित राजस्व संग्रह के लक्ष्य से 28.5 फीसदी अधिक है।
जून में 5जी स्पेक्ट्रम के लिए ताजा चरण की नीलामी के बावजूद वित्त वर्ष 2025 के लिए यह आंकड़ा अपरिवर्तित है जिससे सरकार को 11,340.8 करोड़ रुपये मिले। केंद्र ने 10523.15 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को नीलामी 96,317.65 करोड़ रुपये की रिजर्व कीमत रखी थी।
वर्ष 2022 में पहली 5जी नीलामी में केंद्र ने 1.5 लाख करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बेचे थे। लेकिन इस बार बोली की प्रक्रिया महज सात चरणों के बाद दूसरे दिन ही खत्म हो गई क्योंकि दूरसंचार परिचालकों की तरफ से बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं देखने को मिली। दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने कहा कि नीलामी का अगला चरण वित्त वर्ष 2025 में होने की संभावना नहीं है क्योंकि सरकार ने सालाना आधार पर नीलामी कराने की प्रतिबद्धता जताई है।
अधिकारियों का कनहा है कि दूरसंचार परिचालकों द्वारा ज्यादा भुगतान के चलते भी वित्त वर्ष 2025 का अनुमान समान स्तर पर बना हुआ है।
दूरसंचार क्षेत्र से सरकार को मिलने वाला गैर कर राजस्व मुख्य रूप से टेलीकॉम ऑपरेटरों से मिलने वाला लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उवयोग शुल्क से होने वाली प्राप्तियां होती हैं। दूर संचार विभाग ऑपरेटरों से लाइसेंस शुल्क लेता है, जिसकी गणना लाइसेंसधारी ऑपरेटरों के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के 8 प्रतिशत के हिसाब से होती है।
लाइसेंस शुल्क से संग्रह, लाइसेंस शुल्क की दर, शुल्क और देश में संचार सेवा के विकास पर निर्भर होता है।
संग्रह में स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) भी शामिल होता है, जो 15 सितंबर 2021 के पहले ऑपरेटरों को मिले स्पेक्ट्रम पर लगता है। इसकी गणना एजीआर के 3 प्रतिशत के हिसाब से होती है। स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान योजना में बदलाव के कारण सरकार को अब कम एसयूसी मिलता है।
2022 की 5जी नीलामी में जहां भारती एयरटेल ने ज्यादा अपफ्रंट राशि के भुगतान का विकल्प चुना था, वहीं अन्य 3 कंपनियों रिलायंस जियो वोडाफोन आइडिया और पहली बार बोली लगाने वाली अदाणी डेटा नेटवर्क्स ने 20 प्रतिशत सालाना किस्तों का विकल्प चुना था।
अधिकारियों ने इसके पहले कहा था कि वित्त वर्ष 2024 में दूरसंचार कंपनियों द्वारा अग्रिम भुगतान को छोड़कर, कुल मिलाकर दूरसंचार भुगतान लगभग 55,000 करोड़ रुपये था।