केंद्रीय बजट 2025 की तैयारी चल रही है। एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि सरकार अपना रेवेन्यू कैसे जुटाती है। रेवेन्यू को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है: टैक्स से मिलने वाला रेवेन्यू और नॉन-टैक्स से मिलने वाला रेवेन्यू, जो देश की विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए बेहद जरूरी है।
टैक्स से मिलने वाला रेवेन्यू वह आय है जो सरकार लोगों, व्यापारियों और लेनदेन पर लगाए गए टैक्स से प्राप्त करती है। यह सरकार की आय का सबसे बड़ा हिस्सा होता है और आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ सरकार के संसाधनों को जुटाने की क्षमता को भी दर्शाता है।
टैक्स से मिलने वाले रेवेन्यू में शामिल हैं:
प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes): ये वे टैक्स हैं जो सीधे लोगों और व्यापारियों द्वारा चुकाए जाते हैं, जैसे आयकर (Income Tax), कॉरपोरेट कर (Corporate Tax) और पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax)। इन टैक्स को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 के तहत लगाया जाता है।
उदाहरण: यदि आपकी मासिक सैलरी 50,000 रुपए है, तो इसका एक हिस्सा आयकर के रूप में काटा जाता है और सरकार के पास जाता है। इसी तरह, कंपनियां अपने मुनाफे पर कॉरपोरेट टैक्स देती हैं।
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes): ये वस्तुओं और सेवाओं पर लगाए जाते हैं, जैसे जीएसटी (GST), सीमा शुल्क (Customs Duty) और उत्पाद शुल्क (Excise Duty)।
उदाहरण: जब आप एक स्मार्टफोन खरीदते हैं, तो उसकी कीमत में जीएसटी शामिल होता है। जब विदेश से कार या गैजेट आयात किए जाते हैं, तो उनकी कीमत में सीमा शुल्क जुड़ता है।
उपकर और अधिभार (Cess and Surcharge): ये विशेष उद्देश्यों के लिए लगाए जाने वाले कर हैं, जैसे शिक्षा उपकर (Education Cess) या स्वास्थ्य अधिभार (Health Surcharge)।
उदाहरण: आपके टैक्स स्लिप पर ‘एजुकेशन सेस’ का उल्लेख हो सकता है। महंगी गाड़ियों जैसे लग्ज़री सामानों पर अधिभार लगता है। इनसे जुटाई गई राशि को शिक्षा या बुनियादी ढांचे के विकास जैसे विशेष उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। टैक्स रेवेन्यू का उपयोग सरकार द्वारा आधारभूत संरचना, सामाजिक कल्याण और रक्षा जैसी जरूरतों को पूरा करने में किया जाता है।
नॉन-टैक्स रेवेन्यू का हिस्सा भले ही छोटा हो, लेकिन यह सरकार की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके मुख्य घटक निम्नलिखित हैं:
लाभांश और मुनाफा (Dividends and Profits): सरकारी निवेशों से प्राप्त आय, जैसे सार्वजनिक उपक्रमों और वित्तीय संस्थानों से।
उदाहरण: यदि सरकार किसी कंपनी जैसे एसबीआई (SBI) या ओएनजीसी (ONGC) में हिस्सेदारी रखती है, तो उसे उनके मुनाफे का एक हिस्सा लाभांश के रूप में मिलता है।
ब्याज से मिलने वाला आय (Interest Receipts): सरकार द्वारा राज्यों या सार्वजनिक उपक्रमों को दिए गए ऋण पर अर्जित आय।
उदाहरण: जैसे आप अपने दोस्त को पैसा उधार देते हैं और वह आपको ब्याज सहित चुकाता है, उसी तरह सरकार अपने दिए गए ऋण पर ब्याज प्राप्त करती है।
फीस और चार्ज (Fees and Charges): प्रशासनिक सेवाओं से अर्जित रेवेन्यू, जैसे पासपोर्ट जारी करना या दंड वसूली।
उदाहरण: पासपोर्ट के लिए आवेदन करने पर या ट्रैफिक नियम तोड़ने पर जुर्माने के रूप में जो शुल्क आप देते हैं, वह सरकार के खाते में जाता है।
रॉयल्टी और किराया (Royalty and Rent): प्राकृतिक संसाधनों जैसे कोयला, तेल और खनिजों के उपयोग से अर्जित आय।
उदाहरण: जैसे आप किसी मकान में रहने के लिए किराया देते हैं, उसी तरह जब कंपनियां तेल, कोयला या खनिज निकालती हैं, तो वे सरकार को ‘रॉयल्टी’ के रूप में भुगतान करती हैं।
अन्य प्राप्तियां (Other Receipts): संपत्तियों की बिक्री, स्पेक्ट्रम नीलामी और बाहरी अनुदान से आय।
उदाहरण: जैसे आप पुरानी कार बेचते हैं और उससे पैसा कमाते हैं, वैसे ही सरकार जमीन, पुरानी इमारतों या टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी से रेवेन्यू अर्जित करती है।
नॉन-टैक्स रेवेन्यू से अर्जित आय का उपयोग सरकार द्वारा विशेष परियोजनाओं या उद्देश्यों, जैसे आरबीआई का अधिशेष हस्तांतरण या टेलीकॉम ऑपरेटरों से प्राप्त लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, के लिए किया जाता है।
बजट एट ए ग्लांस 2024-25 के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार का कुल रेवेन्यू इस प्रकार है:
कुल रेवेन्यू : 31,29,200 करोड़ रुपए
टैक्स से रेवेन्यू: 25,83,499 करोड़ रुपए (83%)
नॉन-टैक्स से रेवेन्यू : 5,45,701 करोड़ रुपए (17%)
बढ़ते खर्च, आधारभूत संरचना का निर्माण, रक्षा क्षेत्र और कल्याणकारी योजनाओं में टैक्स और नॉन-टैक्स रेवेन्यू दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। टैक्स रेवेन्यू आर्थिक विकास और स्वीकृति पर निर्भर करता है। नॉन-टैक्स रेवेन्यू मुख्य रूप से रणनीतिक बिक्री, सार्वजनिक क्षेत्र के कुशल प्रबंधन और संसाधनों के उचित उपयोग पर निर्भर करता है।
जैसे ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2025 का बजट पेश करेंगी, सभी स्टेक होल्डर इस पर नजर रखेंगे कि इन रेवेन्यू स्रोतों का उपयोग भारत की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए कैसे किया जाता है, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि करदाताओं पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।