प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का अनुपात चालू वित्त वर्ष के दौरान इस सदी के उच्च स्तर पर रह सकता है। इसके साथ वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह में तेज वृद्धि के कारण GDP के अनुपात में केद्रीय करों से प्राप्तियां सर्वोच्च स्तर पर या 2008-09 के उच्च स्तर के नजदीक पहुंच सकती हैं, भले ही उत्पाद और सीमा शुल्क से प्राप्तियां कम रही हैं।
यह 1 फरवरी को संसद में पेश किए जाने वाले अंतरिम बजट में वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमान (RE) में नजर आएगा।
टैक्स कलेक्शन अधिक रहने और 2023-24 के पहले अग्रिम अनुमान में अनुमानित कम नॉमिनल GDP के कारण ऐसा होने की संभावना है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अनुमान लगाया है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह बजट अनुमान (बीई) से 1 लाख करोड़ रुपये अधिक हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो संशोधित अनुमान में प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.23 लाख करोड़ रुपये होगा। पहले अग्रिम अनुमान में नॉमिनल GDP 296.58 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है। ऐसे में वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमान में प्रत्यक्ष कर-GDP अनुपात बढ़कर 6.48 प्रतिशत होगा। यह 2000-01 से अब तक का शीर्ष स्तर होगा। बजट अनुमान में Direct Tax-GDP अनुपात 6.04 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
प्रत्यक्ष कर में तेजी बढ़कर 1.99 रहने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 24 के बजट अनुमान 1.3 और 2022-23 के वास्तविक 1.18 की तुलना में ज्यादा है। बहरहाल प्रत्यक्ष कर में तेजी 2021-22 में 2.52 के उच्च स्तर पर थी। इसके अलावा प्रत्यक्ष कर में तेजी 2000-01 में 3.32, 2002-03 में 2.59, अगले साल 2.19, 2006-07 में 2.42 और 2007-08 में 2.27 थी।
कर में तेजी (टैक्स बॉइअन्सी) का मापन GDP के विस्तार के परिणामस्वरूप कर वृद्धि में बदलाव के हिसाब से किया जाता है। अगर तेजी 1 से ज्यादा होती है तो इसका मतलब है कि GDP की वृद्धि दर के कारण प्राप्तियों में अधिक बढ़ोतरी हुई है।
मौजूदा मूल्य पर आधिकारिक रूप से GDP में 8.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जबकि बजट पेश किए जाते समय 10.5 प्रतिशत की वृद्धि की कल्पना की गई थी। पहले अग्रिम अनुमानों में नॉमिनल GDP वित्त वर्ष 24 के बजट अनुमान 301.75 लाख करोड़ रुपये से 5.17 लाख करोड़ रुपये कम रहने का अनुमान लगाया गया है।
बहरहाल इससे तेज कर संग्रह पर लगाम लगने की संभावना नहीं है।
इसके अलावा प्रत्यक्ष कर संग्रह, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) से प्राप्तियां अप्रैल दिसंबर के दौरान 6.26 लाख करोड़ रुपये रही हैं, जो वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान 8.13 लाख करोड़ रुपये का 77 प्रतिशत है। बहरहाल सीमा शुल्क में महज 0.26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह वित्त वर्ष 24 में नवंबर तक 1.42 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह बजट अनुमान की 9.25 प्रतिशत वृद्धि की तुलना में काफी कम है।
वहीं दूसरी तरफ चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह 7.88 प्रतिशत गिरकर 1.76 लाख करोड़ रुपये रहा है। इसमें वित्त वर्ष 24 के बजट में 6.26 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।
इक्रा ने अनुमान लगाया है कि तेज प्रत्यक्ष कर संग्रह और जीएसटी प्राप्तियों से केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कमी और सीमा शुल्क संग्रह की सुस्ती की भरपाई हो जाएगी। इक्रा की गणना के मुताबिक इन मदों से बजट अनुमान की तुलना में 60,000 करोड़ रुपये ज्यादा आएंगे। अगर ऐसा होता है तो कर प्राप्तियां संशोधित अनुमान के मुताबिक 34.21 लाख करोड़ रुपये रहेंगी, जो बजट अनुमान में 33.61 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना जताई गई थी।
इसकी वजह से इस साल कर GDP अनुपात 11.53 प्रतिशत रहेगा। यह 2021-22 के 11.54 प्रतिशत के करीब है, जो कोविड-19 का दूसरा साल था। ज्यादा कर संग्रह से कर GDP अनुपात 2023-24 में 2008-09 के बाद के शीर्ष स्तर पर होगा। वित्त वर्ष 24 के लिए बजट अनुमान में कर GDP अनुपात 11.15 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
इसके बावजूद कर में 1.35 की तेजी 2008-09 के बाद का उच्चतम स्तर नहीं होगा, हालांकि यह वित्त वर्ष 24 के लिए बजट में लगाए गए 0.99 के अनुमान से ज्यादा है।