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Budget 2024: 2 करोड़ ग्रामीण घरों का वादा, मनरेगा के लिए बढ़ा आवंटन, अन्य योजनाओं पर क्या है मोदी सरकार का रुख?

MGNREGS योजना को लेकर FY-25 के लिए High Budget Estimate ग्रामीण नौकरियों के बाजार में जारी कमजोरी को दर्शाता है।

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- February 01, 2024 | 10:00 PM IST

आम चुनाव में कुछ महीने का समय है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में पेश अंतरिम बजट में अगले पांच साल के दौरान ग्रामीण इलाकों में दो करोड़ नए आवास बनाने का वादा किया, लेकिन कृषि क्षेत्र के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं (पोस्ट-हार्वेस्टिंग प्रौद्योगिकियों और डेरी और मत्स्य जैसी संबंधित गतिविधियों में निजी निवेश को बढ़ावा दिए जाने के अलावा) की।

मोदी सरकर 2024 में सत्ता में आने के बाद से अब तक 3 करोड़ ग्रामीण आवासों का निर्माण करा चुकी है।

कृषि को ग्रामीण क्षेत्र की रीढ़ माना जाता है, लेकिन कृषि से जुड़े परिवारों की औसत मासिक आय में फसल क्षेत्र की भागीदारी पिछले कुछ वर्षों से घट रही है, जबकि पारिश्रमिक में इजाफा हुआ है।

अन्य 2 करोड़ आवास बनाए जाने की घोषणा से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा देश के ग्रामीण इलाकों में जरूरी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के प्रति दिलचस्पी स्पष्ट जाहिर होती है।

बजटीय आवंटन के संदर्भ में, कृषि क्षेत्र को वित्त वर्ष 2025 के बजटीय अनुमान (बीई) में 146,819 करोड़ रुपये का आवंटन मिला, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान (आरई) के मुकाबले मामूली 4.47 प्रतिशत अधिक था।

इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्र को वित्त वर्ष 2025 के बीई में 265,808 करोड़ रुपये का आवंटन मिला, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान (आरई) के मुकाबले मामूली 4.47 प्रतिशत अधिक था।

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण को 80,671 करोड़ रुपये का बजट अवंटन मिला है, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान (आरई) के मुकाबले 49 प्रतिशत ज्यादा, लेकिन वित्त वर्ष 2024 के बजटीय अनुमान (बीई) के समान है।

नरेंद्र मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के पिछले बजट में एक बड़ी निराशा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की प्रमुख आय हस्तांतरण योजना के तहत किसी भी बढ़े हुए आवंटन पर पूर्ण चुप्पी थी।

2019 के आम चुनाव से पहले घोषित कार्यक्रम के तहत, केंद्र सरकार ने सभी पात्र किसानों को उत्पाद खरीदने के लिए तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये की राशि चुकाई। अब तक, आय में मदद के तौर पर इस कार्यक्रम के जरिये किसानों को 240,000 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

मीडिया खबरों में कहा गया कि सरकार यह सालाना किस्त 1500 रुपये या 2000 रुपये तक बढ़ा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

ग्रामीण भारत के लिए अन्य मुख्य योजना थी मनरेगा, जिसे बजटीय आवंटन में तरजीह दी गई। मनरेगा योजना को 86,000 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन मिला है, जो वित्त वर्ष 2024 के आरई के बराबर, लेकिन वित्त वर्ष 2024 के बीई से काफी ज्यादा है।

वित्त वर्ष 2024 के आम बजट में मनरेगा के लिए शुरू में 60,000 करोड़ रुपये का प्रस्तावित आवंटन तय किया गया था, लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने इसमें सबसे पहले 10,000 करोड़ रुपये और उसके बाद 16,000 करोड़ रुपये का इजाफा किया गया था। इसके साथ ही यह आवंटन बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 86,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

मनरेगा कार्यक्रम न्यूनतम 100 दिन के औसत रोजगार का कानूनी अधिकार प्रदान करता है।

उत्तर प्रदेश नियोजन आयोग के पूर्व सदस्य प्रो. सुधीर पंवार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मनरेगा बजट में 43 प्रतिशत वृद्धि और स्थिर कृषि बजट से ऐसी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का पता चलता है जिसमें किसान तेजी से पारिश्रमिक कमाने वाले बन रहे हैं। किसान बढ़ती महंगाई की वजह से पीएम-किसान सम्मान निधि में इजाफा होने और जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाए जाने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन मेरा मानना है कि मोदी सरकार पीएम-किसान निधि में वृद्धि के लिए उपयुक्त समय का इंतजार कर रही है।’

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि पूरे देश के किसान गेहूं और चावल के लिए ऊंचे एमएसपी की उम्मीद कर रहे थे, जैसा कि हाल के चुनावों में मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसानों के लिए वादा किया गया।

अन्य योजनाओं में, जल जीवन मिशन को वित्त वर्ष 2025 में 70,163 करोड़ रुपये का आवंटन मिला, जो वित्त वर्ष 2024 के बजट अनुमान के लगभग समान है। यह योजना ग्रामीण इलाकों में परिवारों को पाइप के जरिये पानी पहुंचाने का वादा करती है।

First Published : February 1, 2024 | 4:05 PM IST