Union Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों (direct tax proposals) में कर आधार (tax base) बढ़ाने पर जोर दिया है। साथ ही मुकदमों को कम करने और करदाताओं के लिए कर निश्चितता लाने के लिए कराधान ढांचे में सुधार का प्रस्ताव किया है। दूसरी ओर उन्होंने एजेंल कर और एक्विलाइजेशन शुल्क खत्म किया है। उन्होंने दशकों पुराने आयकर कानून की 6 महीने में समग्र समीक्षा की भी घोषणा की।
सभी श्रेणी के निवेशकों के लिए एजेंल कर समाप्त करने से स्टार्टअप में निवेश बढ़ेगा। इससे फंडिंग की समस्या से जूझ रहे स्टार्टअप उद्योग को काफी राहत मिलेगी। इस कर को पहली बार 2012 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने लगाया गया था। इसका मकसद घरेलू निवेशकों के धनशोधन को रोकना था। बाद में इसका दायरा बढ़ाकर विदेशी निवेशकों को भी इसमें शामिल किया गया।
एजेंल कर में प्रस्तावित संशोधन 1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होंगे और यह आकलन वर्ष 2025-26 के लिए लागू होगा। सीतारमण ने बजट भाषण में कहा, ‘इससे भारतीय स्टार्टअप के तंत्र को बढ़ावा मिलेगा, उद्यमशीलता की भावना और नवोन्मेष प्रोत्साहित होगा। इसलिए मैं सभी श्रेणियों के निवेशकों के लिए एजेंल कर खत्म करने का प्रस्ताव करती हूं।’ एकेएम ग्लोबल में टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘इसके लागू होने के बाद से स्टार्टटप समुदाय को कर जांच का सामना करना पड़ रहा था। इस बारे में उपयुक्त दिशानिर्देश और सुरक्षा की उम्मीद है।’
दूसरी ओर एमेजॉन, नेटफ्लिक्स, गूगल जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों को इक्विलाइजेशन शुल्क हटाए जाने का फायदा होगा। इसके तहत भारतीय कंपनियों को सेवाएं मुहैया कराने वाली विदेशी डिजिटल कंपनियों को मुनाफे पर 2 फीसदी कर देना होता था। इक्विलाइजेशन शुल्क हटाने का निर्णय वैश्विक कर समझौते के अनुरूप है। 2 फीसदी इक्विलाइजेशन शुल्क को हटाने का प्रस्ताव 1 अगस्त, 2024 से प्रभावी होगा। मगर ऑनलाइन विज्ञापन और संबंधित सेवाओं पर 6 फीसदी शुल्क पहले की तरह बना रहेगा।
व्यक्तिगत आयकर (Individual Income Tax) की नई व्यवस्था में बदलाव के साथ ही वित्त मंत्री ने सूचीबद्ध प्रतिभूतियों (listed securities) में पूंजी लाभ कर बढ़ा दिया है और पुनर्खरीद को भी कर दायरे में ला दिया है। हालांकि गिफ्ट सिटी में स्थित वेंचर कैपिटल फंडों, रिटेल योजनाओं, एक्सचेंज ट्रेडेट फंडों को कर में छूट दी गई है।
उदाहरण के लिए विदेशी कंपनियों की आयकर देनदारी 40 फीसदी से घटकर 35 फीसदी हो जाएगी। साथ ही 20 लाख रुपये तक की छोटी विदेशी संपत्तियों की जानकारी नहीं देने पर जुर्माना नहीं लगेगा। तलाशी और जब्ती के लिए नई ब्लॉक आकलन योजना आएगी। रीवैल्यूएशन के लिए समय सीमा को 10 साल से घटाकर 5 साल किया गया है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर रोहिंटन सिघवा ने कहा, ‘विदेशी कंपनियों पर टैक्स की दर घटाने और इक्विलाइजेशन शुल्क हटाना चकित करने वाला है। तार्किक रूप से इसकी जगह वैकल्पिक शुल्क लगाया जा सकता था।’
बेनामी लेनदेन (निषेध) कानून, 1988 में संशोधन कर बेनामी संपत्तियों का पूरा खुलासा करने वाले बेनामीदार को जुर्माना और कानूनी कार्रवाई से छूट मिलेगी।
बजट में विवाद से विश्वास योजना दोबारा लाने की भी घोषणा की गई। इसके तहत प्रत्यक्ष कर से संबंधित विवाद का निपटारा किया जाता है। पहले यह योजना 2020 में आई थी और इसे करदाताओं की अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ा था।
स्रोत पर कर कटौती (TDS) में भी बदलाव किया गया है और इसकी दर घटाई गई है। पहले 12 महीने से ज्यादा देरी से TDS या TCS जमा करने पर जुर्माना लगता था मगर 1 महीने से ज्यादा देर होने पर ही जुर्माना भरना होगा।
नांगिया एंडरसन के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि कुछ श्रेणियों में TDS की दर को 5 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी करने से करदाताओं पर वित्तीय बोझ कम होगा और कारोबार तथा लोगों के पास नकदी का प्रवाह बढ़ेगा।