अंतरिम बजट में तकनीकी और स्टॉर्टअप क्षेत्र के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की है लेकिन इसमें इन क्षेत्रों के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार इन क्षेत्रों में उद्यमियों और नवाचार को बढ़ावा देगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाने की घोषणा की है जिससे 50 वर्षों तक ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा। उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कहा,’यह टेक सेवी युवा के लिए स्वर्ण काल होगा।’ उन्होंने अपने भाषण में कहा कि इस तेजी से उभरते क्षेत्र में निजी क्षेत्र को शोध व नवाचार के लिए विशेष रूप से बढ़ावा मिलेगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि ये नई योजनाएं रक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली डीप टेक टेक्नॉलजी को मजबूत करेंगी और इससे ‘आत्मनिर्भरता’ बढ़ेगी। स्टॉर्ट अप और तकनीकी उद्योग ने इस घोषणा का स्वागत किया है। उद्योग ने उम्मीद जताई कि इससे शोध व विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नैस्कॉम के वाइस चेयरमैन व एसएपी लैब्स इंडिया के एसवीपी व प्रबंध निदेशक सिंधु गंगाधर ने कहा, ‘50 वर्ष तक ब्याज रहित ऋणों के जरिये 100,000 करोड़ रुपये से धन जुटाए जाने और पुन: धन जुटाए जाने की योजना से निजी क्षेत्र के शोध व विकास को बढ़ावा मिलेगा।
तेजी से बढ़ते इस क्षेत्र में प्रतिबद्ध पहल की जाएंगी। इससे क्षेत्र के डीप टेक/शोध व विकास को बढ़ावा मिलेगा और भारत वैश्विक रूप से अग्रणी स्थान हासिल कर पाएगा। इससे मार्केट प्लेस में उतार-चढ़ाव के दौर में उद्योग के लिए श्रम बल तैयार हो पाएगा।
स्नैपडील के सीईओ कुणाल बहल ने कहा, ‘इससे स्टॉर्टअप को सही मायने में मदद मिलेगी। इन कंपनियों को शून्य दर पर ब्याज मिल सकेगा। नैसकॉम जिनोव रिपोर्ट के अनुसार भारत के स्टॉर्टअप को 2003 में डीपटेक तकनीक में 50 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश हासिल हुआ। नैस्कॉम-जिनोव की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के डीपटेक इकोसिस्टम में 3,000 से अधिक स्टार्टअप हैं।
इनमें से 1900 आर्टिफिशल इटेलिजेंस (एआई) कंपनियां, बिग डाटा व विश्लेषण की 570 और रोबोटिक की 60, ड्रोन की 60, साइबर सुरक्षा की 40 और अंतरिक्ष व सैटलाइट तकनीक की 10 हैं। रिपोर्ट के अनुसार इन इकाइयों ने कैलेंडर वर्ष 2021 में समन्वित रूप से 2.7 अरब डॉलर जुटाए थे।
नैसकॉम ने अपने बयान में कहा कि डीपटेक में विभिन्न उभरते और क्षेत्रों के लिए पर्याप्त मूल्य सृजित करने की क्षमता है। बयान के अनुसार, ‘भारत में डीप टेक के कई स्टॉर्टअप है और वे कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
इस क्रम में उभरती तकनीकों, नवाचार और समावेशी विकास के क्षेत्रों में काम हो रहा है। लिहाजा यह अच्छा है कि सरकार ने महत्त्वपूर्ण रक्षा क्षेत्र में डीप टेक्नॉलजी के विस्तार को बढ़ावा दिया है।’
कई लोगों का विश्वास है कि यह घोषणा शोध व विकास को तेजी से बढ़ावा देने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। कैपिटालाइन के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.4 प्रतिशत हिस्सा ही शोध व विकास पर खर्च हुआ। हालांकि इस क्षेत्र में शामिल कंपनियां खुश हैं कि सॉवरिन संपत्ति व पेंशन कोषों के लिए मार्च 2025 तक स्टॉर्टअप में निवेश करने पर कर लाभ का विस्तार
किया गया।
बजट में सॉवरिन संपत्ति कोषों को आय में छूट दी गई है। यह छूट 31 मार्च, 2025 से पहले भारत में डिविडेंट, ब्याज और दीर्घावधि पूंजी निवेश के रूप में दी गई है। आईवीकैप वेंचर्स के संस्थापक व मैनेजिंग पार्टनर विक्रम गुप्ता के अनुसार, ‘स्टॉर्टअप और सॉवरेन संपत्ति कोषों के लिए कर छूट का विस्तार मार्च, 2025 तक करना सकारात्मक कदम है और इससे स्टॉर्टअप के इकोसिस्टम को चिरस्थायी मदद मिलेगी।’
युवाओं पर निर्भर है देश की समृद्धि
वित्त मंत्री ने साफतौर पर कहा कि देश की समृद्धि युवाओं को पर्याप्त रूप से कुशल और सशक्त बनाने पर निर्भर करती है। सरकार द्वारा चिह्नित 4 स्तंभो में युवा ध्यान का प्रमुख केंद्र है। ध्यान के अन्य 3 क्षेत्रों में गरीब, महिलाएं और अन्नदाता (किसान) शामिल हैं।
उन्होंने कहा, ‘उनकी जरूरतें, उनकी आकांक्षाएं और उनका कल्याण हमारी उच्च प्राथमिकता है। उनकी प्रगति होगी, तभी देश की प्रगति होगी।’ अगर युवाओं की बात की जाए तो उन्हें कुशल बनाने पर विशेष ध्यान है।
स्किल इंडिया मिशन के तहत 1.4 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। वहीं 54 लाख युवाओं की कुशलता में उन्नयन और उन्हें नई जरूरतों के मुताबिक कुशल बनाया गया है।
एलटीआई माइंडट्री के एमडी और सीईओ देवाशीष चटर्जी ने कहा, ‘स्किल इंडिया मिशन से उच्च कुशल कार्यबल तैयार करने में मदद मिली है। टेक सेवी युवाओं को ब्याजरहित ऋण देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये पूंजी निर्धारित किया जाना परिवर्तनकारी साबित होगा। इससे नवोन्मेष और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा और अगली पीढ़ी तके तकनीकी अगुआ तैयार हो सकेंगे।’