हालिया बजट में ज्यादा प्रीमियम वाले बीमा उत्पादों और बाजार से जुड़े ऋणपत्र (एमएलडी) से कर रियायतें वापस लिए जाने के कारण 40 लाख करोड़ के म्युचुअल फंड उद्योग को फायदा मिलने की उम्मीद है।
भारतीय म्युचुअल फंड एसोसिएशन (एम्फी) के सीईओ एनएस वेंकटेश ने कहा, ‘एमएलडी और ज्यादा प्रीमियम वाले बीमा उत्पादों का आकर्षण फीका पड़ने के कारण धनाढ्य निवेशक डेट म्युचुअल फंड में अधिक निवेश कर सकते हैं।’
आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के प्रबंध निदेशक व मुख्य कार्याधिकारी ए. बालासुब्रमण्यन ने कहा,’इंश्योरेंस और एमएलडी पर कर में बदलाव होने से म्युचुअल फंड को फायदा होगा। रियल एस्टेट निवेश के लिए पूंजीगत लाभ पर सीमा लगाया जाना भी डेट फंड के लिए फायदेमंद है।’
हालिया बजट में, सरकार ने निवेश समय सीमा के बावजूद कम अवधि वाले पूंजीगत लाभ पर कर लगाकर एमएलडी पर कर बढ़ाने का प्रस्ताव किया है। अब तक, एमएलडी में एक वर्ष से अधिक के निवेश पर 10 फीसदी की दर से दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर लगता है। कर में बदलाव के साथ, निवेशकों को अपनी स्लैब दर पर कर का भुगतान करना होगा, जो कि 30 फीसदी तक हो सकती है।
हालांकि,विश्लेषकों का मानना है कि यह एमएलडी के लिए यह अंत नहीं हो सकता है। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के निदेशक, पोर्टफोलियो विशेषज्ञ, धवल कपाड़िया ने कहा, एमएलडी ने कर लाभ खो दिया है, लेकिन वे एक अनूठी पेशकश बने हुए हैं। यह अभी भी एक तरह का इक्विटी उत्पाद ही है, लेकिन यह गिरावट के बचने के लिए एक सुरक्षा भी प्रदान करता है।’
बीमा के मामले में सरकार ने 5 लाख रुपये से अधिक के प्रीमियम वाली बीमा पॉलिसीज के लिए कर छूट को हटा दिया है। एमएलडी एक संरचित उत्पाद है जो एक अंतर्निहित सूचकांक या सिक्योरिटी के आधार पर रिटर्न प्रदान करता है।