ह्युंडै मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कंपनी ने स्थानीय रूप से विनिर्माण या 1,200 से ज्यादा कलपुर्जों (इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी पैक समेत) की खरीदारी कर वर्ष 2019 से अब तक विदेशी मुद्रा में करीब 5,700 करोड़ रुपये की बचत की है। एचएमआईएल के पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य विनिर्माण अधिकारी गोपालकृष्णन चतपुरम शिवरामकृष्णन ने कहा कि घरेलू विनिर्माण के लिए सरकार के अभियान ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए कंपनी के प्रयासों से देश में स्थानीयकरण की दर 92 प्रतिशत हो गई है।
ह्युंडै ने महाराष्ट्र के तलेगांव में अपने विनिर्माण संयंत्र के लिए स्वदेशीकरण की रणनीति अपनाकर अपना स्थानीय आपूर्तिकर्ता नेटवर्क मजबूत बनाने पर जोर दिया है। यह संयंत्र 2025 की चौथी तिमाही में चालू हो जाने की संभावना है। कंपनी ने दिल्ली में चल रहे ऑटो शो ‘भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025’ में अपने स्वदेशीकरण प्रयासों का प्रदर्शन करके ‘मेक इन इंडिया’ को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
एचएमआईएल ने स्वदेशीकरण योजना के माध्यम से विनिर्माण में 92 प्रतिशत तक स्थानीयकरण हासिल किया है। एचएमआईएल और मोबिस इंडिया ने एचएमआईएल के चेन्नई निर्माण संयंत्र में एक नई इकाई में बैटरी पैक की स्थानीय असेंबलिंग शुरू कर दी है। ह्युंडै की स्वदेशीकरण पहलों की वजह से 2019 से अब तक उसे 5,678 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत हुई है और 1,400 से ज्यादा लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार मिला है। ह्युंडै क्रेटा इलेक्ट्रिक देश में निर्मित पहली ह्युंडै ईवी बन गई जिसके बैटरी पैक इसी संयंत्र में असेंबल किए गए।
एचएमआईएल ने अपने चेन्नई संयंत्र में 1,238 से ज्यादा कलपुर्जों के लिए 194 विक्रेताओं के साथ भागीदारियां की हैं। अपने पहले चरण में संयंत्र की सालाना असेंबलिंग क्षमता 75,000 बैटरी पैक की है। इसमें कई तरह की बैटरियां असेंबल की जा सकेंगी, जिनमें एनएमसी (लीथियम निकल मैंगनीज कोबाल्ट ऑक्साइड) और एलएफपी (लीथियम आयरन फॉस्फेट) बैटरियां शामिल हैं।