साहित्य से आजीविका: लेखक-कवि सुन रहे ‘मंच’ की गुहार
हिंदी साहित्य की दुनिया से बतौर लेखक या पाठक जुड़े लोग इस बात पर एकमत हैं कि हिंदी में केवल ‘लेखन’ के बल पर आजीविका चला पाना मुश्किल काम है। प्रकाशन संस्थानों द्वारा लेखकों को दी जाने वाली ‘नाममात्र की रॉयल्टी’ भी गाहेबगाहे चर्चा का विषय बनती रही है। ऐसे में लेखन का काम पेशा […]