याचिकाओं में उक्त अधिनियम के तहत राज्य को प्रदत्त उन शक्तियों को चुनौती दी गई थी जिनके जरिए राज्य सरकारी कर्मियों से व्यवसाय क्षेत्र की निगरानी करा सकता है । इनमें विनिर्माण कंपनियों और संबंधित लोगों से निरीक्षण लागत वसूलने के राज्य के प्राधिकार को भी चुनौती दी गई थी ।
अधिनियम की धारा 58ए के तहत राज्य को इस संबंध में सामान्य या विशेष आदेश जारी करने का अधिकार है कि किसी मादक पदार्थ, एल्कोहल प्रकृति के उत्पाद, भांग और शीरा जैसी वस्तुओं के विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, भंडारण, बिक्री, खरीद, उपयोग, संग्रह या खेती इस तरह के निषेध और आबकारी या पुलिसकर्मियों की निगरानी में होगी।
इस धारा के तहत यह भी प्रावधान है कि कर्मचारियों को तनख्वाह के रूप में दी जाने वाली निरीक्षण लागत विनिर्माता या विक्रेता या खरीदार द्वारा वहन की जाएगी।
अधिनियम की धारा 114 निरीक्षण शुल्क या धारा 58ए राज्य को उक्त कर्मचारियों की निरीक्षण लागत वसूलने का अधिकार प्रदान करती है ।
याचिकाओं को विचार योग्य नहीं मानते हुए न्यायमूर्ति मृदुला भटकर और ए एस ओका ने इन्हें खारिज कर दिया ।
याचिकाएं औरंगाबाद डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड, कोल्हापुर शुगर मिल्स लिमिटेड, ब्रिहान करन शुगर सिंडिकेट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य ने दायर की थीं ।
भाषा
05151146 दि
नननन