facebookmetapixel
Tata Trusts: कार्यकाल खत्म होने से पहले वेणु श्रीनिवासन बने आजीवन ट्रस्टी, अब मेहली मिस्त्री पर टिकी निगाहेंMidwest IPO: 24 अक्टूबर को होगी लिस्टिंग, ग्रे मार्केट से मिल रहे पॉजिटिव संकेत; GMP ₹100 पर पंहुचाUpcoming IPOs: आईपीओ मार्केट में फिर गर्माहट, सेबी ने ₹3500 करोड़ के सात नए आईपीओ को दी मंजूरीसत्य नडेला की कमाई बढ़कर हुई ₹800 करोड़, 90% हिस्सा सिर्फ शेयरों सेट्रंप ने दी दीपावली की बधाई, मोदी बोले – आपके कॉल के लिए धन्यवाद, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएंआरबीआई बदल सकता है नियम, बैंक बिना पूर्व अनुमति बना सकेंगे सहायक कंपनियांप्रवासी भारतीयों ने कम भेजा धन, अप्रैल-जुलाई के दौरान घटकर 4.7 अरब डॉलरक्या मोदी जाएंगे कुआलालंपुर? पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भागीदारी को लेकर सस्पेंस बरकरारउपेंद्र कुशवाहा बोले – नीतीश ही रहेंगे NDA का चेहरा, बिहार चुनाव में नेतृत्व को लेकर नहीं कोई मतभेदकोविड के बाद मांग में उछाल से कंपनियों का मुनाफा तीन गुना बढ़ा

भारतीय भाषाओं और कृषि के लिए गूगल ने पेश किया एआई मॉडल

यह मिट्टी, पानी, वृद्धि की पद्धति और जलवायु जैसी फसल की खास जरूरतों के बारे में बताएगा और साथ ही फसल कितनी होगी इसका भी पूर्वानुमान भी देगा।

Last Updated- July 10, 2025 | 11:07 PM IST
IndiaAI Mission

प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज गूगल ने गुरुवार को ओपन सोर्स आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) पहलों की शुरुआत की है। इसमें भारत के कृषि क्षेत्र और एआई मॉडल में सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व पर जोर दिया गया है। दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी ने एग्रीकल्चरल मॉनिटरिंग ऐंड इवेंट डिटेक्शन (एएमईडी) ऐप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) पेश किया है। यह एपीआई डेवलपर्स को खेती की उत्पादकता के उपकरण तैयार करने में मदद करने के लिए देश भर में फसल और मैदान के आंकड़ों की निगरानी करता है।

Also read: सरकार के साथ समझौते के उल्लंघन से वेदांत को बड़ा जोखिम : वायसराय रिसर्च

गूगल डीपमाइंड के शोधकर्ताओं ने कंपनी की एम्प्लीफाई इनिशिएटिव के जरिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)- खड़गपुर के साथ मिलकर लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) में शामिल होने के लिए भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को लाने के लिए डेटासेट तैयार किया है।

ये पहल गूगल के निरंतर निवेश और एआई अनुसंधान के लिए प्रतिबद्धता पर आधारित है, जो महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में वास्तविक दुनिया के प्रभाव में मदद करते हैं और भारत की एआई केंद्रित महत्त्वाकांक्षा को भी बल देते हैं।

बेंगलूरु में आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन के दौरान गूगल डीपमाइंड के वरिष्ठ निदेशक (एशिया-प्रशांत) डॉ. मनीष गुप्ता ने कहा, ‘हम भारत के इनोवेटर्स द्वारा इन क्षमताओं के दिए गए समाधानों से काफी प्रेरित हैं, जो एआई के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।’

गूगल डीपमाइंड और उसकी साझेदार नवोन्मेषी टीम ने भारत में कृषि निगरानी में सुधार के लिए एमईडी एपीआई विकसित किया है। कंपनी के एग्रीकल्चर लैंडस्केप अंडरस्टैंडिंग (एएलयू) एपीआई पर तैयार यह नया उपकरण मशीन लर्निंग, फसल लेबल और सैटेलाइट तस्वीरों के जरिये फसल का प्रकार, मैदान का आकार और बोआई एवं कटाई की तारीखें बताएगा। यह फील्ड स्तर पर कृषि गतिविधियों की देखरेख के लिए तीन वर्षों के आंकड़े भी प्रदान करेगा।

इन जानकारियों का मकसद एआई आधारित समाधान तैयार करने में मदद करना है, जिसके जरिये कृषि प्रबंधन में सुधार हो सके। यह मिट्टी, पानी, वृद्धि की पद्धति और जलवायु जैसी फसल की खास जरूरतों के बारे में बताएगा और साथ ही फसल कितनी होगी इसका भी पूर्वानुमान भी देगा।

Also read: मुंबई के इलिनॉय टेक कैंपस में 300 छात्रों के साथ अगले साल से पढ़ाई

गूगल डीपमाइंड के कृषि एवं स्थायित्व शोध प्रमुख आलोक तलेकर ने कहा कि कंपनी महत्त्वपूर्ण बदलावों को गति देने, व्यापक जानकारी को छोटी करने और वास्तविक समय के आंकड़ों में बदलने की दिशा में काम कर रही है। तालेकर ने कहा, ‘इसलिए, तेजी से प्रभावी होते समाधान न केवल भारत के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हों बल्कि बढ़ते जलवायु जोखिमों के प्रति देश को भी मजबूत कर सकें।’

आईआईटी-बंबई में तैयार की गई स्टार्टअप टेरास्टैक ने ग्रामीण भूमि आसूचना प्रणाली बनाने के लिए एएलयू एपीआई का उपयोग किया है। इसका मकसद ग्रामीण ऋण देने, भूमि अभिलेखों के आधुनिकीकरण में मदद करने और जलवायु जोखिमों के प्रति खेतों की संवेदनशीलता तय करना है। यह ग्रामीण ऋण उपयोग के लिए एएमईडी एपीआई तलाश रहा है।

टेरास्टैक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी आर्यन डांगी ने कहा, ‘ये एपीआई भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक के लिए पहले से अव्यवस्थित और अनुपयोगी डेटा को मानक बनाने और समाधानों में तब्दील करने में मदद कर रहे हैं।’

गूगल की एम्प्लीफाई इनीशिएटिव स्थानीय डेटा को शामिल कर एलएलएम को बेहतर बनाने का प्रयास करती है। इसमें क्षेत्रीय भाषाएं, बोलियां और सांस्कृतिक बारीकियां शामिल हैं, जो मौजूदा एआई प्रशिक्षण में नहीं हैं। आईआईटी-खड़गपुर के साथ साझेदारी के जरिये यह परियोजना भारत की भाषायी विविधता को दर्शाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले हाइपरलोकल डेटासेट तैयार करेगी।

ओपन सोर्स डेटा सेट का उद्देश्य डेवलपर्स के लिए ऐसे एआई उपकरण बनाने में सहायता करना है जो भारतीय भाषा के उपयोगकर्ताओं को बेहतर सेवाएं दे सके।

Also read: TCS ने वेतन बढ़ोतरी पर नहीं लिया फैसला, आर्थिक अनिश्चितता और डील में देरी बनी वजह

उप सहारा अफ्रीका में प्रायोगिक परीक्षण के बाद, जिसमें सात भाषाओं में 8,000 व्याख्या किए गए सवाल तैयार किए गए हैं। भारत में होने वाले परीक्षण में कई भारतीय भाषाओं में स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा संबंधी विषयों पर ध्यान दिया जाएगा।

गूगल एम्प्लीफाई इनीशिएटिव की लीड प्रोग्राम मैनेजर (इंडिया) मधुरिमा माजी ने कहा, ‘हम समृद्ध, हाइपरलोकल संदर्भ और सांस्कृतिक समझ तैयार कर रहे हैं, जो कच्चे डेटा को अच्छे खासे ज्ञान में तब्दील कर देता है।’

आईआईटी खड़गपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. मैनाक मंडल ने कहा कि वैश्विक एआई बनाने में यह साझेदारी नए अध्याय की शुरुआत है।

First Published - July 10, 2025 | 10:44 PM IST

संबंधित पोस्ट