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Wheat Production: अगले रबी सीजन में 1,140 लाख टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य

रबी के सीजन की प्रमुख दलहन फसल चने के लिए सरकार ने 135.5 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 2022-23 में कुल चना उत्पादन 135.5 लाख टन था।

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संजीब मुखर्जी   
एजेंसियां   
Last Updated- September 26, 2023 | 10:34 PM IST

Wheat Production Target: केंद्र सरकार ने आगामी रबी सीजन में 1,140 लाख टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जो 2022-23 में हुए 1,127 लाख टन की तुलना में 13 लाख टन ज्यादा है।

इसके अलावा गेहूं के कुल 300 लाख हेक्टेयर रकबे का करीब 60 प्रतिशत जलवायु प्रतिरोधी किस्मों के तहत लाने का लक्ष्य भी रखा गया है, क्योंकि इस साल अल नीनो की संभावना बन रही है। रबी की तैयारियों पर राज्यों के साथ आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के यह लक्ष्य तय किए गए।

रबी के सीजन की प्रमुख दलहन फसल चने के लिए सरकार ने 135.5 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 2022-23 में कुल चना उत्पादन 135.5 लाख टन था।

रबी सत्र की मुख्य फसल गेहूं की बोआई अक्टूबर में शुरू होती है और इसकी कटाई मार्च एवं अप्रैल में होती है। केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा, ‘जलवायु पारिस्थितिकी में कुछ बदलाव हुए हैं जो कृषि को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में हमारी रणनीति जलवायु-प्रतिरोधी बीजों के इस्तेमाल की है।’

सरकार ने 2021 में जल्द गर्मी आने से गेहूं की पैदावार पर पड़े असर को देखते हुए 2022 में किसानों को 47 प्रतिशत गेहूं रकबे में गर्मी को झेल पाने वाली किस्मों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया था। देश में गेहूं की पैदावार का कुल रकबा तीन करोड़ हेक्टेयर है।

आहूजा ने कहा, ‘हम इस साल गर्मी झेल सकने वाली गेहूं की किस्मों की उपज वाले रकबे का दायरा बढ़ाकर कुल रकबे का 60 प्रतिशत करने का लक्ष्य बना रहे हैं।’

कृषि सचिव ने कार्यक्रम में कहा कि देश में 800 से अधिक जलवायु-प्रतिरोधी किस्में उपलब्ध हैं। इन बीजों को ‘सीड रोलिंग’ योजना के तहत बीज श्रृंखला में डालने की जरूरत है। उन्होंने राज्यों से कहा कि वे किसानों को गर्मी-प्रतिरोधी किस्में उगाने के लिए प्रेरित करें।

उन्होंने राज्यों को जलवायु की परिपाटी में आ रहे बदलावों से निपटने के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा, ‘अगर बारिश, तापमान एवं विविधता का तरीका बदलता रहा तो इसका असर कृषि पर भी पड़ेगा।’

आहूजा ने कहा, ‘हमने देखा है कि बारिश का तरीका किस तरह बदल रहा है। जून में कम बारिश, जुलाई में अधिक बारिश, अगस्त में शुष्कता और सितंबर में फिर से अधिक बारिश हुई है। इसकी वजह से देश में बारिश पांच प्रतिशत कम हुई है।’

इन आशंकाओं से सहमति जताते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि संस्था ने 2,200 से अधिक फसल किस्मों का विकास किया है, जिनमें से 800 जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हैं।

उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा ने कहा कि पानी के बाद उर्वरक खेती में एक ऐसा कच्चा माल है जो उत्पादन को प्रभावित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि नैनो यूरिया और डीएपी उर्वरक भविष्य बनने जा रहे हैं।

First Published : September 26, 2023 | 10:32 PM IST