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निचले स्तर पर भारतीय बाजार, बनाए रखें निवेश: मार्केट एक्सपर्ट्स

बंधन एएमसी के इक्विटी प्रमुख मनीष गुनवानी ने कहा कि निवेशकों को अल्पावधि के मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय दीर्घकालिक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- October 31, 2025 | 11:29 PM IST

शेयर बाजार इस समय अनूठे दौर में है, जहां निवेशकों के लिए धैर्य बनाए रखना बहुत जरूरी है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के बीएफएसआई इनसाइट समिट में आज बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि बेहतर रिटर्न हासिल के लिए निवेशकों को सही शेयर चुनने होंगे और धैर्य रखना होगा। विशेषज्ञों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के सुंदर सेतुरामन द्वारा संचालित बाजार में अवसर कहां हैं, निवेशकों को कहां निवेश करना चाहिए? विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में अपनी बात रखी।

मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सह-संस्थापक प्रमोद गुब्बी ने कहा कि हम ऐसे दौर में हैं, जहां शेयरों का चयन अहम हो गया है। यह पूरी तरह से एक निचले स्तर का बाजार है। पहले जो आसान पैसा मिल जाता था, वह अब उपलब्ध नहीं है। निवेशकों को याद रखना चाहिए कि शेयर बाजार लंबे अरसे क लिए निवेश करने वाला परिसंपत्ति वर्ग है, जिसके लिए अनुशासन, दृढ़ विश्वास और बुनियादी बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

इस साल शेयरों में रिटर्न सामान्य दर्जे का रहा है। इस पर पैनल विशेषज्ञों ने कहा कि महामारी के बाद के सालों में बहुत अधिक मुनाफा देने के बाद अब बाजार सही जगह पर पहुंच रहा है।

गुब्बी ने कहा, ‘कोविड के बाद चार साल तक हमारा उत्साह चरम पर रहा और अब हम सामान्य स्थिति की ओर लौट रहे हैं। लेकिन मूल्यांकन अब तक के औसत से ऊपर ही बना हुआ है। यह कहना ही उचित होगा कि निवेशकों को इस समय सतर्क तो बने रहना चाहिए मगर बेहतर की उम्मीद भी नहीं छोड़नी चाहिए। इक्विटी निवेश में असली बात जोखिम प्रबंधन है और अभी शेयरों के लिहाज से कोई साफ थीम नजर नहीं आ रही है। रिटर्न और आय वृद्धि दोनों एक अंक में रहे हैं और मूल्यांकन समय के साथ सही हुए हैं। फिर भी बाजार खरीदारी के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं।’

बंधन एएमसी के इक्विटी प्रमुख मनीष गुनवानी ने कहा कि निवेशकों को अल्पावधि के मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय दीर्घकालिक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘लंबी अवधि में शेयर बाजार मुद्रास्फीति से करीब 5-7 फीसदी ज्यादा रिटर्न देते हैं। 10 से 20 साल की अवधि में यह लगभग 6.5-7 फीसदी होता है। इसलिए निवेशकों को न तो लालची बनने की जरूरत है और न ही डरने की। हालांकि मौजूदा मूल्यांकन सस्ते नहीं हैं, लेकिन दुनिया भर में सरकारी ऋण रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, जो अक्सर आसान मौद्रिक नीति का पूर्वाभास देता है क्योंकि बड़े देनदार कम वास्तविक दरों को पसंद करते हैं। तीन से पांच साल की अवधि में दो अंकों में इक्विटी रिटर्न की ही बात मैं अब भी कहूंगा।’

विशेषज्ञों ने कहा कि कई सकारात्मक नीतिगत उपायों (जिनमें पिछले केंद्रीय बजट में पेश उच्च आयकर सीमा, वस्तु एवं सेवा कर को उचित बनाना तथा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हाल ही में दरों में कटौती शामिल है) ने आर्थिक और आय में सुधार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया है। मिराए ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के इक्विटी प्रमुख गौरव मिश्रा ने कहा, ‘हमने पर्याप्त नीतिगत उपाय लागू कर दिए हैं। अर्थव्यवस्था के बड़े हिस्से में सुधार आने की संभावना है। हालांकि हाल ही में आय वृद्धि दर थोड़ी कम रही है, लेकिन इसमें सुधार की संभावना है। अगले दो वर्षों के लिए आय अनुमान कुछ संशोधनों के बाद मध्य-एकल अंकों में स्थिर हो सकते हैं, जो अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तुलना में अभी भी स्वस्थ इक्विटी रिटर्न का संकेत देते हैं।’

फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंडिया के उपाध्यक्ष और संस्थागत पोर्टफोलियो प्रबंधक (ईएमई इंडिया) हरि श्यामसुंदर ने कहा कि आय में निराशा की सीमा कम हो रही है क्योंकि सुधार को गति देने वाले कारक जोर पकड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘राजकोषीय और मौद्रिक नीति का समर्थन जबरदस्त रहा है, जिससे अगले वित्त वर्ष में मजबूत वापसी की संभावना बनी है। मौजूदा आय अनुमान अच्छे हैं। अगर हम कुछ नीचे की ओर संशोधन भी होते हैं तो इस बार वे सीमित हो सकते हैं, जिससे आने वाले वर्ष के लिए बाजार की स्थिति मजबूत होगी।’ गुब्बी ने कहा कि बाजार अपनी आय में गिरावट के चक्र के निचले स्तर के करीब पहुंच गया है। उन्होंने कहा, ‘पिछली छह-सात तिमाहियों से कंपनियां लगातार विश्लेषकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही हैं, जिसके कारण आय में गिरावट आई है। यह पहली तिमाही हो सकती है, जिसमें हमें कम गिरावट देखने को मिलेगी। हालांकि आय वृद्धि में नाटकीय रूप से सुधार नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीदें कम हो गई हैं।’

First Published : October 31, 2025 | 11:17 PM IST