अंतरराष्ट्रीय निवेश में बढ़ोतरी को लेकर अमेरिकी सरकार के रिटायरमेंट फंड का इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स बदलने के फैसले से दुनिया भर के इक्विटी के निवेश में 28 अरब डॉलर (2.3 लाख करोड़ रुपये) का फेरबदल होने वाला है।
भारत को इस कदम का प्राथमिक लाभार्थी माना जा रहा है क्योंकि यहां 3.6 अरब डॉलर (30,000 करोड़ रुपये) का निवेश आकर्षित होगा। विश्लेषकों ने यह जानकारी दी।
अमेरिकी सरकार के मुख्य रिटायरमेंट फंड में से एक फेडरल रिटायरमेंट थ्रिफ्ट इन्वेस्टमेंट बोर्ड (एफआरटीआईबी) के पास 600 अरब डॉलर से ज्यादा की परिसंपत्तियां हैं और उसने वैश्विक इक्विटी में निवेश के लिए इस्तेमाल करने वाले इंडेक्स में बदलाव का फैसला लिया है। अब वह एमएससीआई ईएएफई इंडेक्स के बजाय एमएससीआई एसीडब्ल्यूआई आईएमआई एक्स यूएसए, एक्स चाइना एक्स हॉन्ग इंडेक्स का इस्तेमाल करेगा।
31 अक्टूबर तक एफआरटीआईबी का इंटरनैशनल स्टॉक इंडेक्स इन्वेस्टमेंट फंड में 68 अरब डॉलर का निवेश था, जिसने एमएससीआई ईएएफई को बेंचमार्क के तौर पर इस्तेमाल किया।
ईएएफई इंडेक्स में 21 विकसित बाजार शामिल हैं, जो यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, एशिया व सुदूर पूर्व के हैं। लेकिन इसमें अमेरिका व कनाडा शामिल नहीं हैं। भारत इस इंडेक्स का हिस्सा नहीं है। इस बीच, एमएससीआई एसीडब्ल्यूआई आईएमआई एक्स यूएसए एक्स चाइना एक्स हॉन्ग इंडेक्स में विकसित बाजार व उभरते बाजार दोनों शामिल हैं।
पेरिस्कोप एनालिटिक्स के ब्रायन फ्रिएट्स के विश्लेषण के मुताबिक, इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा कनाडा को होगा, जहां 5.6 अरब डॉलर का निवेश आ सकता है। इसके बाद भारत (3.6 अरब डॉलर) व ताइवान (3.4 अरब डॉलर) का स्थान है। उधर, इस कदम से सबसे ज्यादा नुकसान जापान, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस जैसे विकसित बाजारों को होगा, जहां से अनुमानित तौर पर क्रमश: 3.9 अरब डॉलर, 3 अरब डॉलर और 3 अरब डॉलर की निकासी होगी।
बेंचमार्क बदलने से अमेरिका व चीन की इक्विटी पर असर नहीं होगा क्योंकि दोनों देश यातो पुराने इंडेक्स का या नए इंडेक्स का हिस्सा हैं। हॉन्ग-कॉन्ग पर भी बुरा असर पड़ेगा क्योंकि यह पुराने बेंचमार्क का हिस्सा है, लेकिन नए का नहीं। जापान, यूके व फ्रांस का नए इंडेक्स का हिस्सा होने के बावजूद वे निकासी का सामना करेंगे क्योंकि नए इंडेक्स में उनका भारांक घटेगा।
फ्रिएट्स ने कहा, बेंचमार्क में बदलाव के कारण हमें एफआरटीआईबी में एकतरफा 28अरब डॉलर के ट्रेड का अनुमान है। इसमें देश की संख्या में बढ़ोतरी और सभी देशों के शेयरों में इजाफा शामिल है, जिसकी वजह स्मॉलकैप शेयरों को शामिल किया जाना है। उन्होंने कहा, विकसित बाजारों से निकलकर उभरते बाजारों की ओर काफी बड़ा निवेश आएगा।
इस बदलाव को अगले कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से चार महीने की अवधि में कई चरणों में क्रियान्वित किया जाएगा ताकि उतारचढ़ाव न हो।फ्रिएट्स ने कहा, अगर बेंचमार्क में बदलाव 16 चरणों में होता है तो किसी एक शेयर पर इसका बहुत बड़ा असर नहीं होगा लेकिन क्रियान्वयन के हर चरण के साथ यह असर बढ़ सकता है।
यह पहला मौका है जब भारत को एफआरटीआईबी फंड से निवेश हासिल होगा क्योंकि यह देश पुराने इंडेक्स का हिस्सा नहीं था। इसके बावजूद असर अपेक्षाकृत कम होगा क्योंकि भारत का भारांक न तो पांच अग्रणी है और न ही उसके कोई देसी शेयर 10 अग्रणी घटक वाली सूची का हिस्सा है। एमएससीआई एसीडब्ल्यूआई आईएमआई एक्स यूएसए, एक्स चाइना एक्स हॉन्ग-कॉन्ग इंडेक्स का विस्तृत है, जिसमं 5,600 से ज्यादा घटक हैं।
करीब 4 लाख करोड़ डॉलर के साथ भारतीय बाजार का बाजार पूजीकरण दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा आंकड़ा है। लेकिन अपेक्षाकृत कम पब्लिक फ्लोट और कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर सीमा लगे होने से कई वैश्विक सूचकांकों में भारत का भारांक सिकोड़ा है। यह पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे बदला है क्योंकि अन्य वैश्विक इक्विटी के मुकाबले भारत का प्रदर्शन उम्दा रहा है।
साथ ही नियामकीय कदमों मसलन कम से कम 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता के नियम, विदेशी फंडों के लिए सरकार की तरफ से निवेश की गुंजाइश बनाने और 100 फीसदी पब्लिक फ्लोट के साथ नई पीढ़ी की कंपनियों के आने से भारत के पब्लिक फ्लोट में इजाफा हुआ है।
अभी एमएससीआई ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है और दोनों के बीच पिछले कुछ वर्षों से अंतर घट रहा है।
ऐक्सिस म्युचुअल फंड के हालिया नोट में कहा गया है, एमएससीआई ईएम इंडेक्स में भारत का भारांक साल 2013 के 6.4 फीसदी के मुकाबले अब बढ़कर 16.2 फीसदी पर पहुंच चुका है। इसके साथ ही चीन का भारांक 42.5 फीसदी से घटकर 29.55 फीसदी रह गया है।