अमेरिका की चिप विनिर्माता माइक्रॉन टेक्नोलॉजी (Micron Technology) को उम्मीद है कि अगले कुछ साल में वैश्विक स्तर पर और भारत में सेमीकंडक्टर की मांग में खासा इजाफा होगा क्योंकि मेमरी की खपत बढ़ रही है। इसे मुख्य रूप से आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों के उपभोक्ताओं के अनुकूल होने से बढ़ावा मिल रहा है।
माइक्रॉन टेक्नोलॉजी इंडिया के प्रबंध निदेशक आनंद राममूर्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया ‘दशक के अंत तक मेमरी की खपत दोगुनी होने की उम्मीद है और इसकी सबसे बड़ी संचालक एआई है। हालांकि एआई के संदर्भ में कंप्यूटर और जीपीयू के बारे में बात करना स्वाभाविक है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि एआई को असल में संभव बनाने वाली मेमोरी ही है। हम जिन सभी एआई इंजनों के बारे में बात करते हैं, उनमें मेमरी को जल्दी से एक्सेस करने की काफी जरूरत होती है।’
स्फेरिकल इनसाइट्स ऐंड कंसल्टिंग द्वारा प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में वैश्विक सेमीकंडक्टर मेमरी का बाजार आकार 104.58 अरब डॉलर था और साल 2032 तक दुनिया भर में सेमीकंडक्टर मेमरी का बाजार 201.91 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
राममूर्ति ने कहा कि एआई केवल डेटा केंद्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वह अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं तक फैली हुई है।
उन्होंने कहा ‘हमारे पास ऐसे पीसी विनिर्माता हैं, जो एआई पीसी के बारे में बात कर रहे हैं, स्मार्टफोन विक्रेता अपने स्मार्टफोन में और अधिक एआई क्षमताएं लाने की बात कर रहे हैं। तो इन सभी क्षमताओं के आने से यह होने वाला है कि आपको और ज्यादा मेमोरी की जरूरत होगी।’
भारत के लिहाज से पीसी और स्मार्टफोन के अलावा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), फिनटेक और बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) जैसे नए क्षेत्रों से भी मांग आ रही है।
राममूर्ति ने कहा कि हम चार पहिया और दो पहिया वाहनों, दोनों में ही ईवी पर जोर देख रहे हैं, हालांकि यह अभी दोपहिया खंड में ज्यादा दमदार है। इसका श्रेय सरकारी प्रोत्साहन को जाता है।
दूसरा, फिनटेक के जरिये डिजिटलीकरण की लहर डेटा केंद्रों के उपयोग को और बढ़ाएगी। तीसरा संचालक बड़े भाषा मॉडल का विकास है। उदाहरण के लिए ‘भारत जीपीटी’ स्थानीय भाषाई संदर्भ के साथ अपना स्वयं का एलएलएम रखने का भारत का प्रयास है।