भारत की तुलना में अमेरिका में मृत लोगों के अंगदान (Organ Donation) की दर 100 गुना अधिक है। इंटरनैशनल रजिस्ट्री ऑफ ऑर्गन डोनेशन ऐंड ट्रांसप्लांटेशन के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में प्रत्येक 10 लाख लोगों की आबादी पर 41 मृत लोगों के अंगदान किए जाते हैं, जबकि भारत में यह संख्या सिर्फ 0.4 है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में भी भारत की तुलना में मृत लोगों के अंगदान की दर ज्यादा है।
विकसित अर्थव्यवस्थाओं का जायजा लें तो फ्रांस में यह दर 24.7, ब्रिटेन में 19.8, जर्मनी में 11.1 और जापान में 0.62 है। उभरते बाजार वाले देशों जैसे ब्राजील (13.8) और चीन (3.63) में भी भारत की तुलना में अंगदान की दर अधिक है। ये आंकड़े 2021 के हैं। वर्ष 2019 में ये संख्या समान थीं।
अमेरिका को छोड़कर, इनमें से अधिकांश देशों में वर्ष 2019 की तुलना में अंगदान में कमी आई है। इसकी वजह कोरोना महामारी और उससे जुड़ी समस्याएं मानी जा रही हैं। भारत में भी कुछ ऐसे ही रुझान देखे गए हैं। भारत में 2019 में अंगदान की दर प्रति 10 लाख की आबादी पर 0.52 थी, जो 2021 में घटकर 0.4 हो गई।
भारत में मृतकों की तुलना में जीवित अंगदाताओं से प्रत्यारोपण अधिक होता है और राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 13,338 था। मृतकों के अंगों से होने वाले प्रत्यारोपण की संख्या 2,694 थी। यह संख्या पिछले एक दशक में बढ़ रही है।
ज्यादातर जीवित लोगों के अंगों से होने वाला प्रत्यारोपण दिल्ली (3,422), तमिलनाडु (1,690), केरल (1,423), महाराष्ट्र (1,222) और पश्चिम बंगाल (1,059) में हुए हैं। मृतक लोगों के अंगों के प्रत्यारोपण के मामले में शीर्ष पांच राज्यों में तमिलनाडु (555), तेलंगाना (524), कर्नाटक (478), गुजरात (398) और महाराष्ट्र (303) शामिल है।
अंगदान की संख्या कम होने के चलते हीं प्रत्यारोपण भी रफ्तार भी कम है। एनओटीटीओ द्वारा वर्ष 2022 तक विभिन्न अंग प्रत्यारोपण कराने वाले 57,000 से अधिक रोगी पंजीकृत किए गए थे। सरकार ऐसे भारतीयों की सटीक संख्या दर्ज नहीं करती है जिन्हें इसकी दरकार है ऐसे में यह प्रतीक्षा सूची और भी लंबी हो सकती है।
वर्ष 2022 में तय प्रत्यारोपण की तुलना में लगभग चार गुना पंजीकृत रोगी अंग पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रियाओं की संख्या से पता चलता है कि फेफड़े, या आंत प्रत्यारोपण की की तुलना में किडनी और लीवर का प्रत्यारोपण कराने वालों की संख्या ज्यादा होने की संभावना थी।
सरकार ने 4 अगस्त को संसद में एक जवाब में कहा कि उम्र के आधार पर प्रतिबंध हटा दिए गए हैं, जिसका अर्थ है कि पहले जो मरीज प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण करने में असमर्थ थे, वे अब ऐसा कर सकेंगे।
इसमें कहा गया, ‘अब किसी भी उम्र के व्यक्ति मृत लोगों के अंगों से प्रत्यारोपण कराने के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। इससे पहले एनओटीटीओ की नीति में केवल 65 वर्ष से कम उम्र के मरीजों के पंजीकरण की अनुमति थी।’