दूरसंचार परिचालकों ने देश में प्रयोगशालाओं के अनुपयुक्त बुनियादी ढांचे का हवाला देते हुए दूरसंचार उपकरणों के अनिवार्य परीक्षण के संबंध में एक साल के विस्तार की मांग की है। अनिवार्य परीक्षण और दूरसंचार उपकरण प्रमाणन (एमटीसीटीई) व्यवस्था 1 जुलाई से लागू होने वाली है, जिसके तहत नेटवर्क तैनाती के रूप में स्थापित किए जाने से पहले सभी दूरसंचार उपकरणों का स्थानीय प्रयोगशालाओं में परीक्षण और मंजूरी हासिल की जानी है।
लेकिन दूरसंचार कंपनियों ने उद्योग के संगठन सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के जरिये सरकार से कहा है कि उद्योग की जरूरतें पूरी नहीं हो पाई हैं और समय सीमा में और विस्तार किए जाने की जरूरत है।
सीओएआई के महानिदेशक एसपी कोचर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अगर सरकार कोई नीति बनाती है, तो उसे हम आगे बढ़ने का सही तरीका मानते हैं।
अगर उस नीति में कहा जा रहा कि सर्किट में डालने से पहले सभी उपकरणों का सुरक्षा परीक्षण किया जाना चाहिए, तो ऐसे उपकरणों का परीक्षण करने के लिए कोई तंत्र भी होना चाहिए। यही कारण है कि हम सरकार से समय सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। परीक्षण प्रयोगशालाओं का निरीक्षण और चयन दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी) द्वारा किया जाता है, जो दूरसंचार विभाग की तकनीकी शाखा है।
टीईसी की वेबसाइट पर दिखाया गया है कि देश भर में ऐसी 62 प्रयोगशाला इकाइयां हैं। टीईसी ने 65 अलग-अलग प्रकार के दूरसंचार उपकरणों के लिए ‘अनिवार्य आवश्यकताएं’ भी तैयार की हैं। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही निवेशक अब तक प्रतीक्षा और समीक्षा वाली स्थिति में थे तथा उन्होंने हाल ही में इस क्षेत्र में निवेश करना शुरू किया है। लेकिन उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को स्थापित होने में समय लगेगा।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (अनिवार्य पंजीकरण के लिए जरूरी) आदेश, 2012 के तहत लैपटॉप, वायरलेस कीबोर्ड, पीओएस मशीन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसी निर्दिष्ट वस्तुओं का अनिवार्य पंजीकरण करता है।
जून 2022 में दूरसंचार विभाग ने इस व्यवस्था को क्रियान्वित करने का समय एक साल तक बढ़ा दिया था क्योंकि उद्योग के हितधारकों ने जोरदार तरीके से इसके खिलाफ तर्क दिए थे। उन्होंने कहा था कि इससे देश की आगामी 5जी की तैनाती योजना बुरी तरह प्रभावित होगी।