येस बैंक (Yes Bank) के शेयरों में गिरावट का दबाव नजर आ सकता है क्योंकि 13 मार्च को लॉक इन अवधि समाप्त होने के बाद एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और वैयक्तिक निवेशक इससे निवेश निकासी कर सकते हैं।
इन निवेशकों के पास पुनर्गठन योजना के पहले से ही शेयर हैं, जिसके तहत मौजूदा निवेशकों के शेयरों के 75 फीसदी हिस्से पर तीन साल तक बेचने पर पाबंदी लगी हुई है। दोबारा पूंजीकरण की योजना से पहले निजी क्षेत्र का यह बैंक निफ्टी व बैंक निफ्टी सूचकांकों का हिस्सा हुआ करता था।
निफ्टी और बैंक निफ्टी इंडेक्स से इस शेयर को 18 फरवरी को निकाल दिया गया, लेकिन यह बदलाव 27 मार्च से प्रभावी हुआ। ऐसे में ईटीएफ ट्रैकरों को 26 मार्च तक शेयर बेचने की जरूरत थी। लेकिन ट्रैकर ऐसा कर पाते, तीन साल की लॉक इन अवधि 13 मार्च, 2020 से प्रभावी हो गई और उन्हें येस बैंक के शेयर में निवेशित रहने पर बाध्य होना पड़ा जबकि येस बैंक निफ्टी व बैंक निफ्टी सूचकांकों का हिस्सा नहीं था।
पेरिस्कोप एनालिटिक्स के विश्लेषक ब्रायन फ्रिएटस ने कहा, हमारा अनुमान है कि इन ट्रैकरों के पास कम से कम 6.7 करोड़ शेयर हैं। ईटीएफ को उन शेयरों में निवेशित रहने की दरकार नहीं होती, जो उनके अंतर्निहित इंडेक्स का हिस्सा नहीं है।
एसबीआई ईटीएफ निफ्टी-50, कोटक निफ्टी बैंक ईटीएफ और निप्पॉन इंडिया ईटीएफ बैंक बीईईएस तीन अग्रणी ईटीएफ हैं, जिनके पास लॉक इन अवधि के चलते इसके शेयर हैं। यह देखा बाकी है कि ये फंड हाउस इसके साथ क्या व्यवहार करते हैं। मोटे तौर पर ऐसे मामलों में ईटीएफ अपने निवेश को बट्टे खाते में डाल देता है या साइड पॉकेट का सृजन करता है, अगर भविष्य में इससे कुछ मिलने की गुंजाइश हो।
ईटीएफ के अलावा वैयक्तिक निवेशकों – खुदरा, एचएनआई व एनआरआई – के पास येस बैंक के 1.35 अरब शेयर हैं, जिन्हें बेचने पर अभी पाबंदी है। फ्रिएटस ने कहा, अगर वे अपने प्रतिबंधित शेयरों का महज 20 फीसदी हिस्सा बेचते हैं तो यह यह 5 दिन से ज्यादा का डिलिवरी वॉल्यूम होगा। येस बैंक का शेयर 16.9 रुपये पर बंद हुआ।
येस बैंक के बड़े शेयरधारकों में एसबीआई की अगुआई में आठ वित्तीय संस्थान हैं, जो मार्च 2020 में दोबारा पूंजीकरण की कवायद के समय सामने आए थे। उन्हें 10 रुपये प्रति शेयर के भाव पर शेयर आवंटित किए गए थे।
करीब 11 अरब शेयर यानी उनके शेयरों के तीन चौथाई हिस्से पर लॉक इन अवधि 13 मार्च को एक्सपायर हो रही है। कुछ लेनदार लॉक इन अवधि से अलग रहे 25 फीसदी हिस्से का निपटान पहले ही कर चुके हैं।
फ्रिएटस ने कहा, चूंकि येस बैंक के शेयर उनकी खरीद कीमत से करीब 70 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहे हैं, ऐसे में कुछ बैंक अपनी हिस्सेदारी आंशिक या पूरी तरह से बेचना चाहेंगे। अगर सभी बैंक अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं तो यह करीब 11 अरब शेयर (18,590 करोड़ रुपये का) होगा।
बिकवाली का दबाव सामने आने के बावजूद पिछले एक महीने में इस शेयर ने अपनी मजबूत जमीन बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की है। विशेषज्ञों ने कहा, चूंकि येस बैंक वायदा एवं विकल्प का हिस्सा नहीं है, ऐसे में इस शेयर में शॉर्ट सेलर की तरफ से पहले पोजीशन नहीं लिया गया है।