देश की टाइल और सिरैमिक की बड़ी विनिर्माता कंपनियों के शेयर पिछले सप्ताह के दौरान प्रमुख रूप से लाभ में रहे। इस क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों – कजारिया सिरैमिक्स और सेरा सैनिटरीवेयर ने सात प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
पिछले तीन महीने के दौरान कजारिया सिरैमिक्स और सोमानी सिरैमिक्स में 29 से 32 प्रतिशत की तेजी आई, जबकि सेरा सैनिटरीवेयर में 22 प्रतिशत की तेजी आई। भवन निर्माण सामग्री क्षेत्र में यह खंड सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला रहा है।
वित्त वर्ष 23 की नरमी के बाद टाइल विनिर्माताओं को घरेलू वॉल्यूम में सुधार, मूल्य निर्धारण के कम दबाव और मार्जिन में सुधार से लाभ मिलने की उम्मीद है। जून तिमाही के नतीजों में भी इसका असर दिखने के आसार हैं, जिससे इन शेयरों में तेजी बनी रह सकती है।
ज्यादातर ब्रोकरेज फर्मों को उम्मीद है कि दमदार घरेलू मांग और निर्यात के जोर पकड़ने की वजह से शीर्ष कंपनियां आठ से 10 प्रतिशत की वॉल्यूम वृद्धि दर्ज करेंगी। जेएम फाइनैंशियल रिसर्च के अचल लोहाडे की अगुआई में विश्लेषकों का मानना है कि बेमौसम बारिश के कारण अप्रैल के दौरान मांग प्रभावित हुई थी, लेकिन मई और जून में सुधार से इसकी भरपाई हो गई।
ब्रोकरेज का मानना है कि प्रीमियम टाइलों और बड़ी विट्रीफाइड टाइलों की मांग मजबूत है तथा अन्य श्रेणियों से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
अच्छी घरेलू मांग के अलावा गुजरात के मोरबी से बढ़ते निर्यात का बाजार पर सकारात्मक असर पड़ा है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के राजेश रवि और केशव लाहोटी का कहना है कि औसत मासिक निर्यात 1,700 करोड़ रुपये रहा, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह औसतन 1,300 करोड़ रुपये था।
ब्रोकरेज को प्राप्तियों में गिरावट के आसार नजर आते हैं क्योंकि टाइल विनिर्माताओं ने ईंधन की गिरती लागत का लाभ आंशिक रूप से ग्राहकों को दिया है। अलबत्ता एचडीएफसी सिक्योरिटीज का मानना है कि घरेलू कंपनियों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा बनी हुई है क्योंकि क्षेत्रीय कंपनियां अपने वितरण की मौजूदगी और उत्पाद पोर्टफोलियो का विस्तार कर रही हैं। इससे प्राप्तियों पर दबाव पड़ने की आशंका है। इस क्षेत्र को मुख्य रूप से गैस के कम दामों से फायदा मिला है।
जेएम फाइनैंशियल के अनुसार रासगैस की कीमतों में कमी की वजह से टाइल कंपनियों के लिए गैस की लागत कम है, जो पिछली तिमाही की तुलना में तीन प्रतिशत कम और पिछले साल साल की तुलना में 10 प्रतिशत कम है, जबकि गुजरात गैस के दाम पिछली तिमाही की तुलना में 13 प्रतिशत कम और पिछले साल की तुलना में 36 प्रतिशत कम है। इसके अलावा तरलीकृत पेट्रोलियम गैस, प्रोपेन और बायोगैस जैसे वैकल्पिक ईंधन की ओर स्थानांतरण करने से भी कीमतों में कमी आई है।