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Stock Market: लगातार तीसरे दिन टूटे शेयर बाजार, सेंसेक्स एक महीने के निचले स्तर पर

अमेरिकी बॉन्ड रिटर्न में इजाफे ने इक्विटी बाजार पर असर डाला है जिसके चलते सेंसेक्स एक महीने के निचले स्तर को छू गया।

Last Updated- August 03, 2023 | 10:14 PM IST
Stock Market Today

अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी के कारण वैश्विक स्तर पर जोखिम से परहेज करने की प्रवृत्ति के बीच गुरुवार को भारतीय इक्विटी बाजारों में लगातार तीसरे दिन गिरावट दर्ज हुई। 10 वर्षीय अमेरिका की सरकारी प्रतिभूति का प्रतिफल नौ महीने के उच्चस्तर 4.17 फीसदी पर पहुंच गया, जिससे इक्विटी बाजारों के भरोसे पर चोट पड़ी।

अमेरिकी ट्रेजरी की तरफ से इश्यू का लक्ष्य बढ़ाने और अमेरिकी कर्ज पर फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) की डाउनग्रेडिंग के कारण अमेरिकी प्रतिफल में इजाफा हुआ। बॉन्ड का बढ़ता प्रतिफल इक्विटी में निवेश की अपील धुंधली कर देती है।

सेंसेक्स (Sensex) 542 अंक टूटकर 65,241 पर बंद हुआ, जो एक महीने का निचला स्तर है। उधर, 19,296 तक टूटने के बाद निफ्टी-50 इंडेक्स 145 अंक गिरकर 19,382 पर बंद हुआ।

पिछले दो कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स-निफ्टी 1.8 फीसदी की गिरावट

पिछले दो कारोबारी सत्र में सेंसेक्स व निफ्टी 1.8-1.8 फीसदी टूट चुके हैं, जो 14 मार्च के बाद का सबसे खराब दो दिवसीय गिरावट है। विश्लेषकों ने कहा कि भारत व विदेशों से कमजोर आर्थिक आंकड़ों के बीच बाजार की बढ़त के टिके रहने को लेकर चिंता उभरी है। बढ़ते ट्रेजरी प्रतिफल और फिच की डाउनग्रेडिंग ने सेंटिमेंट को और खराब कर दिया है।

ज्यादातर वैश्विक बाजारों में गिरावट आई जब बैंक ऑफ इंगलैंड ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों का इजाफा कर दिया। डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पाउंड जून के बाद के निचले स्तर पर चला गया जब बैंक ऑफ इंगलैंड ने ब्याज दरें बढ़ाकर 5.25 फीसदी कर दिया था।

ओनडा के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक (एशिया प्रशांत) केल्विन वॉन्ग ने कहा, पाउंड में हालिया कमजोरी अमेरिकी डॉलर में व्यापक आधारित मजबूती के कारण आई है।

विदेशी निवेशकों ने 317 करोड़ रुपये के शेयर बेचे

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 317 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, वहीं देसी संस्थागत निवेशक 1,729 करोड़ रुपये के शुद्ध‍ खरीदार रहे। बढ़ते मूल्यांकन को लेकर चिंता के बीच अब एफपीआई को देसी बाजारों में अपना निवेश घटाते देखा जा रहा है।

वेलेंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा, हम काफी चढ़ चुके हैं और बाजार सस्ते नहीं हैं। साथही हमें इस तेजी को समाहित करने के लिए समय व कीमत में गिरावट की दरकार है। अमेरिकी डाउनग्रेडिंग इस गिरावट की वजह बनी है।

विश्लेषकों ने कहा कि हालिया खबरों ने विदेशी संस्थागत निवेशकों को मुनाफावसूली और कुछ रकम निकालने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निगम कर संग्रह सालाना आधार पर 14 फीसदी घटकर 1.38 लाख करोड़ रुपये रह गया है।

विश्लेषकों ने कर संग्रह में गिरावट की वजह घटते मार्जिन को बताया। इसके अतिरिक्त चीन के कमजोर विनिर्माण आंकड़ों से इस कयास को बल मिला है कि और प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा हो सकती है और एफपीआई का निवेश उस देश को जा सकता है।

खबरों में कहा गया है कि चीन का केंद्रीय बैंक अहम बैंकों के लिए रिजर्व अनुपात इस महीने घटा सकता है ताकि उधारी को मजबूती मिले और अर्थव्यवस्था की रिकवरी हो।

First Published - August 3, 2023 | 10:14 PM IST

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