शेयर बाजार में टT+1 रोलिंग सेटलमेंट के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कस्टोडियन बैंकों के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन किया है। इसके तहत ये बैंक स्थिर भुगतान प्रतिबद्धता (IPC) जारी कर सकेंगे।
आईपीसी जारी करने वाले कस्टोडियन बैंकों के लिए कारोबारी सत्र के दौरान अधिकतम जोखिम को पूंजी बाजार में निवेश माना जाएगा, जो निपटान की रकम का 30 फीसदी होगा।
जोखिम के लिए 30 फीसदी की सीमा का आकलन टी+1 में इक्विटी की कीमत में 20 फीसदी की गिरावट के अनुमान और कीमतों में और गिरावट के लिहाज से 10 फीसदी के अतिरिक्त मार्जिन के आधार पर किया गया है। इससे पहले जोखिम घटाने के कदम इक्विटी के लिए टी प्लस 2 रोलिंग सेलटमेंट पर आधारित थे।
टी का मतलब ट्रेडिंग डे से है। उन कस्टोडियन बैंकों को ही आईपीसी जारी करने की इजाजत दी गई है जिनका क्लाइंटों के साथ करार हो और इसके तहत उन्हें सेटलमेंट में भुगतान प्राप्त करने के लिए प्रतिभूति पर अपरिहार्य अधिकार हो।
आरबीआई (RBI) ने कहा कि अगर लेनदेन की फंडिंग पहले ही हो गई हो तो इस उपबंध पर जोर नहीं दिया जाएगा। रुपये वाला फंड ग्राहकों के खाते में उपलब्ध होना जरूरी है और अगर विदेशी मुद्रा सौदा हो तो बैंक के नोस्ट्रो खाते में रकम आईपीसी जारी होने से पहले क्रेडिट होनी चाहिए।
आरबीआई ने कहा कि अगर मार्जिन का भुगतान नकदी में किया गया हो तो कुल निवेश चुकाए गए मार्जिन को घटाकर माना जाएगा। साथ ही जब मार्जिन का भुगतान म्युचुअल फंडों और एफपीआई को स्वीकार्य प्रतिभूतियों में किया गया हो तो कुल निवेश में मार्जिन की रकम घटा दी जाएगी और इसे ही कुल निवेश माना जाएगा।